जनरेशन गैप: वर्तमान का सच

हाल ही में मुझे एक 75 वर्षीय व्यक्ति की कहानी पढ़ने को मिली जो इस बढ़ती उम्र में शहर में घूम-घूम कर बच्चों के लिए कैलेंडर, नक्शे और चार्ट बेच रहा था। जब किसी ने उससे पूछा कि यह उम्र घर पर बैठकर आराम करने की है और तुम दिनभर बाहर घूमते रहते हो, तो उस बुजुर्ग ने जवाब दिया कि अगर मैं दिनभर घर पर ही रहूंगा तो अपनी बहुओं और बच्चों को डांटूंगा। "लाइट जल रही है, पानी चल रहा है, बच्चे मोबाइल पर लगे हैं" आदि। इस तरह की डांट-फटकार आज की पीढ़ी को पसंद नहीं है और ऐसा करने से मेरी गरिमा कम होगी और घर की शांति भंग होगी। उस व्यक्ति का तर्क था कि मैं रोज 10-15 किलोमीटर पैदल चलता हूं, सैकड़ों लोगों से मिलता हूं, कमाई करता हूं और शाम को रोटी-पानी खाकर चैन की नींद सो जाता हूं। मैं भी खुश हूं और मेरा परिवार भी खुश है। यह कहानी आज के समय में पीढ़ियों के बीच पैदा हुए अंतर को दर्शाती है।

हाल ही में मुझे एक 75 वर्षीय व्यक्ति की कहानी पढ़ने को मिली जो इस बढ़ती उम्र में शहर में घूम-घूम कर बच्चों के लिए कैलेंडर, नक्शे और चार्ट बेच रहा था। जब किसी ने उससे पूछा कि यह उम्र घर पर बैठकर आराम करने की है और तुम दिनभर बाहर घूमते रहते हो, तो उस बुजुर्ग ने जवाब दिया कि अगर मैं दिनभर घर पर ही रहूंगा तो अपनी बहुओं और बच्चों को डांटूंगा। "लाइट जल रही है, पानी चल रहा है, बच्चे मोबाइल पर लगे हैं" आदि। इस तरह की डांट-फटकार आज की पीढ़ी को पसंद नहीं है और ऐसा करने से मेरी गरिमा कम होगी और घर की शांति भंग होगी। उस व्यक्ति का तर्क था कि मैं रोज 10-15 किलोमीटर पैदल चलता हूं, सैकड़ों लोगों से मिलता हूं, कमाई करता हूं और शाम को रोटी-पानी खाकर चैन की नींद सो जाता हूं। मैं भी खुश हूं और मेरा परिवार भी खुश है। यह कहानी आज के समय में पीढ़ियों के बीच पैदा हुए अंतर को दर्शाती है।
जनरेशन गैप का मतलब अलग-अलग उम्र के लोगों के बीच बदलते मूल्यों और वैचारिक मतभेदों से है। यह अंतर कई बार परिवार और रिश्तों में गलतफहमी, असहमति और तनाव का कारण बन जाता है। पीढ़ियों में अंतर के कारण हमारे सभी सामाजिक रिश्ते काफी हद तक प्रभावित हो सकते हैं। यह समझने के लिए कि उम्र का अंतर रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है, हमें पीढ़ी के अंतर की प्रकृति को समझना होगा। 
आज का समय गति का युग है। संचार साधनों ने अद्भुत प्रगति की है। संचार शैलियों में पीढ़ीगत अंतर कई बार गलतफहमियों का कारण बन सकता है। पुराने दिनों में, गुस्से को आमने-सामने सुलझाया जाता था, लेकिन आज के तकनीक-प्रधान युग में, शिकायतें संचार के उन्नत साधनों के माध्यम से व्यक्त की जाती हैं, जो कई बार पूरी तरह से दूर नहीं होती हैं। पीढ़ी का अंतर पिछले कुछ समय से चर्चा का विषय रहा है।
 हमें बचपन से ही बड़ों द्वारा डांटा जाता रहा है। वे हमेशा हमारे समय को कोसते और अपने समय की प्रशंसा करते देखे गए हैं। सांस्कृतिक परिवर्तन भी पीढ़ी के अंतर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे-जैसे समाज विकास की ओर बढ़ता है, मूल्य, मानदंड और व्यवहार संबंधी परंपराएँ बदलती हैं। कई बार यह अंतर माता-पिता और बच्चों के बीच संघर्ष जैसी स्थिति पैदा करता है। 
माता-पिता और बच्चों के शिक्षा, करियर विकल्प और जीवनशैली प्राथमिकताओं पर परस्पर विरोधी विचार हो सकते हैं। ऐसी स्थितियाँ पारिवारिक कलह का कारण भी बनती हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को समय के अनुसार अपने स्वभाव में बदलाव लाना चाहिए। एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करने की आदत डालने की जरूरत है। हमें बड़ों के अनुभव से लाभ उठाना चाहिए। घरेलू परिवारों में उनकी सलाह और मार्गदर्शन को महत्व दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा, जैसे-जैसे समय बदलता है, हर व्यक्ति की जरूरतें, सोच और समझदारी बदलती है। इसके साथ ही हर व्यक्ति को खुद को ढालने की जरूरत होती है। हर पीढ़ी ने अपना अस्तित्व स्थापित करने के लिए संघर्ष किया है और यह संघर्ष पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रहेगा। स्थितियां हमेशा बदलती रहती हैं।

दविंदर कुमार

- देविंदर कुमार