लगी नज़र पंजाब नू, इधी नज़र उतारो। लाई के मिर्चन कौड़ियां, एहदे सर तों वारो। सर तों वारो, वर के, अग्ग दे विच सारो। लगी नज़र पंजाब नू, इधी नज़र उतारो।

पंजाबी के प्रमुख कवि पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर की ये पंक्तियां मैं आपके ध्यान में इसलिए ला रहा हूं क्योंकि आज कबूतरों का घर हमारा रंग-बिरंगा पंजाब सचमुच किसी की बुरी नज़र का शिकार हो गया है। कुछ दिन पहले मैंने खबर सुनी कि एचआईवी संक्रमण के मामलों में पंजाब भारत का तीसरा सबसे प्रभावित राज्य बन गया है।

पंजाबी के प्रमुख कवि पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर की ये पंक्तियां मैं आपके ध्यान में इसलिए ला रहा हूं क्योंकि आज कबूतरों का घर हमारा रंग-बिरंगा पंजाब सचमुच किसी की बुरी नज़र का शिकार हो गया है। कुछ दिन पहले मैंने खबर सुनी कि एचआईवी संक्रमण के मामलों में पंजाब भारत का तीसरा सबसे प्रभावित राज्य बन गया है।
 विशेषज्ञों के अनुसार इसका मुख्य कारण नशीली दवाओं के इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सीरिंज हैं। यह बहुत गंभीर और चिंताजनक मामला है। पंजाब आज भी भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में सबसे आगे है, लेकिन नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण आज एक पूरी पीढ़ी खतरे में है। 
आज हमारे राज्य में 15 से 35 वर्ष की आयु के 9 लाख से अधिक युवा किसी न किसी रूप में नशे के आदी हैं। यह समस्या इतनी व्यापक हो गई है कि पंजाब के दो तिहाई से अधिक घरों में कम से कम एक व्यक्ति नशे का आदी है। हमारा हरा-भरा प्रांत कभी अपने डांस हॉल, कुश्ती के अखाड़ों, मेलों और त्योहारों के लिए जाना जाता था, आज हम "उड़ता पंजाब" के शर्मनाक कलंक का सामना कर रहे हैं।
 हमारे कई युवा ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने के बाद खेल के मैदानों की बजाय कब्रिस्तानों, खंडहरों और खाली पड़ी इमारतों में बेहोश पड़े दिखाई देते हैं। हालांकि यह सच है कि आज नशाखोरी एक वैश्विक समस्या है, लेकिन हमारा देश इस महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं है। पश्चिमी देशों की तरह स्वास्थ्य सेवा का ढांचा इतना मजबूत नहीं है कि जमीनी स्तर पर हर नशेड़ी तक पहुंच सके। नशीली दवाओं की संख्या और उनके उपयोग के तरीके आश्चर्यजनक दर से बढ़ रहे हैं। 
पंजाब में, नशीली दवाओं के उपयोग के अभिशाप ने एक महामारी का रूप ले लिया है जिसने हमारे समाज के ताने-बाने को हिला दिया है। अवैध नशीली दवाओं का सेवन न केवल उपयोगकर्ता के स्वास्थ्य और जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे देश की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक नींव को भी कमजोर करता है। नशीली दवाओं की व्यापकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह पेट्रोलियम और हथियारों के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कारोबार बन गया है।
आज पंजाब से प्रकाशित लगभग सभी अखबार ऐसी खबरों से भरे पड़े हैं, जिनमें नशीली दवाओं की बड़ी खेप पकड़ी जाती है। ऐसी दुखद खबरें भी पढ़ने को मिलती हैं कि किसी बेटे ने नशीली दवाओं के लिए अपनी मां, पिता या पत्नी को मार डाला। घरेलू हिंसा का मूल कारण भी नशीली दवाओं का सेवन है। घर बर्बाद हो रहे हैं, परिवारों के इकलौते जवान बेटे नशीली दवाओं के ओवरडोज से मर रहे हैं।
अगर इस भयानक समस्या के समाधान की बात करें तो पंजाब सरकार ने पहले ही "ड्रग्स पर युद्ध" अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत कई उपायों पर जोर दिया जा रहा है जैसे कि पुलिस नशीली दवाओं के "हॉटस्पॉट" की पहचान करेगी, सप्लाई चेन को तोड़ा जाएगा और ड्रग डीलरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 
पिछले कुछ दिनों में 'येलो पॉ' ऑपरेशन की खबरें भी सुर्खियों में रही हैं। इसके तहत नशा तस्करों की संपत्तियां जब्त की गई हैं तथा काले धन से बनाई गई आलीशान इमारतों को जमींदोज किया गया है। इसी तरह पंजाब सरकार नशा मुक्ति और पुनर्वास पर केंद्रित नशा नियंत्रण नीति शुरू करने की योजना बना रही है। 
पंजाब पुलिस की सामुदायिक पुलिसिंग विंग युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करेगी। स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में संशोधन करने पर विचार कर रहा है, जिसमें नशे के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस समय राज्य में करीब 300 नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र हैं तथा कपूरथला में महिलाओं के लिए एक केंद्र चल रहा है। 
हालांकि सरकार अपने स्तर पर इस समस्या के समाधान के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, लेकिन हमारे धार्मिक, सामाजिक और युवा संगठन नशे की बाढ़ को रोकने में अधिक सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। आलस्य और बेरोजगारी भी इस समस्या का एक मुख्य कारण है। इसलिए युवाओं को अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार या कुछ शारीरिक श्रम करने का अवसर मिलना चाहिए। आज पंजाब के कोने-कोने से एक ही पुकार आ रही है कि नशा भगाओ, जवानी बचाओ, खुशहाली लाओ।

-दविंदर कुमार

- देविंदर कुमार