
माहिलपुर कला का क्षेत्र है - प्रो. अजीत लंगेरी
माहिलपुर - माहिलपुर क्षेत्र का प्रत्येक गांव और उसका प्रसिद्ध संस्थान श्री गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज कला का सागर है। यह विचार प्राचार्य हरभजन सिंह व समन्वयक प्रो. सिमर मानक की चित्रकला प्रदर्शनी के दौरान व्यक्त किए। अजीत लंगेरी ने खालसा कॉलेज माहिलपुर में कहा।
माहिलपुर - माहिलपुर क्षेत्र का प्रत्येक गांव और उसका प्रसिद्ध संस्थान श्री गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज कला का सागर है। यह विचार प्राचार्य हरभजन सिंह व समन्वयक प्रो. सिमर मानक की चित्रकला प्रदर्शनी के दौरान व्यक्त किए। अजीत लंगेरी ने खालसा कॉलेज माहिलपुर में कहा।
उन्होंने आगे कहा कि इस संस्थान ने ऐसे व्यक्तियों को जन्म दिया है जिन्होंने हर क्षेत्र में उच्च एवं महान लक्ष्य हासिल किए हैं। खालसा कॉलेज माहिलपुर के संस्थापक प्रिंसिपल हरभजन सिंह जी की याद में चित्रों की प्रदर्शनी पंजाबी विभाग के प्रमुख डॉ. जे.बी. सेखों द्वारा सिख एजुकेशनल काउंसिल के सहयोग से आयोजित की गई। कला समारोह के संचालक के रूप में कार्य करते हुए शिरोमणि साहित्यकार बलजिंदर मान ने विचारों के आदान-प्रदान में सहायता की।
प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजविंदर सिंह बैंस ने कहा कि माहिलपुर के संधूरी आम और सृजन की कलात्मक सुगंध हर किसी को आकर्षित करती है। ललित कलाओं के विकास से ही मानव मन में मानवीय मूल्यों का उदय होता है।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. परविंदर सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए महाविद्यालय में सभी प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। उन्होंने आगे कहा कि समय की मांग है कि हम अपनी नई पीढ़ी को समृद्ध विरासत मूल्यों से जोड़ें। कवि सुखविंदर अमृत और गायक बलराज, जो गणमान्य व्यक्ति के रूप में उपस्थित थे, ने अपनी कलात्मक प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।
प्रो. सिमर मानक ने अपने जीवन साथी, लेखक प्रो. गुरमन सिंह के साथ चित्रों की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी। इन चित्रों को देखकर दर्शकों ने अपना कलात्मक स्तर बढ़ाया। प्रो. ने प्रदर्शनी की व्यवस्था को शानदार ढंग से प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दलविंदर अजीत, प्रोफेसर तजिंदर सिंह, तलविंदर हीर, बब्बू माहिलपुरी, सरपंच बलविंदर सिंह, बलजिंदर मान, परमजीत कातिब, रघुवीर सिंह कलोया और सुखमन सिंह आदि ने विशेष भूमिका निभाई।
प्रदर्शनी का आनंद लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों में प्रोफेसर सुरजीत सिंह, सुरिंदर पाल झाल, रोशनजीत सिंह पनम, अमृतपाल सिंह संधू, विजय बम्बाली, गुरमिंदर कैंडोवाल, हरवीर मान, बाबू अमरजीत सिंह, चंचल सिंह बैंस, बंत सिंह बैंस, बलदेव सिंह बंगा, सुखदेव नदालों, प्रोफेसर विक्रम चंदेल, बलजीत सिंह बैंस, प्रिं. सुखचैन सिंह सहित विद्यार्थी, शिक्षक एवं कला प्रेमी उपस्थित थे।
