"आदि धर्म" एक क्रांति है जिसने इतिहास बदल दिया" - संत सतविंदर हीरा

होशियारपुर- जब-जब भारत की धरती पर अत्याचार और अन्याय ने सिर उठाया है, तब-तब कोई न कोई महानायक जन्म लेकर इतिहास की धारा मोड़ चुका है। ऐसे ही एक महानायक थे बाबू मंगू राम मुगोवालिया, जिन्होंने आदि धर्म आंदोलन की नींव रखकर न केवल दलितों और शोषितों को नई पहचान दी, बल्कि उनके दिलों में स्वाभिमान और आत्मसम्मान की लौ भी जलाई।

होशियारपुर- जब-जब भारत की धरती पर अत्याचार और अन्याय ने सिर उठाया है, तब-तब कोई न कोई महानायक जन्म लेकर इतिहास की धारा मोड़ चुका है। ऐसे ही एक महानायक थे बाबू मंगू राम मुगोवालिया, जिन्होंने आदि धर्म आंदोलन की नींव रखकर न केवल दलितों और शोषितों को नई पहचान दी, बल्कि उनके दिलों में स्वाभिमान और आत्मसम्मान की लौ भी जलाई।
आदि धर्म स्थापना दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए अखिल भारतीय आदि धर्म मिशन (रजि.) भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत सतविंदर हीरा ने कहा कि 20वीं सदी में भारत एक ओर अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, वहीं दूसरी ओर जाति और छुआछूत की बेड़ियां लाखों लोगों को कुचल रही थीं। इसी बीच 11-12 जून को 1926 में पंजाब के छोटे से गांव मुगोवाल में ऐतिहासिक क्रांति "आदि धर्म आंदोलन" का जन्म हुआ। बाबू मंगू राम ने 15,000 लोगों की भारी भीड़ के सामने गरजते हुए कहा कि हम इस देश के असली वारिस हैं, फिर भी हमें गुलाम बनाया गया है, आज से हम अपने पूर्वजों के गौरवशाली धर्म 'आदि धर्म' को अपनाते हैं।
संत सतविंदर हीरा ने कहा कि आदि धर्म ने न केवल देश के शोषित और वंचित आदि धर्मों को धार्मिक पहचान दी, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्रांति भी शुरू की। इसके मुख्य सिद्धांत "सोहं, जय गुरुदेव" थे। सतगुरु रविदास, सतगुरु कबीर, सतगुरु वाल्मीकि और सतगुरु नामदेव, सतगुरु घीसा दास के मिशन पर चलते हुए। बाबू मंगू राम मुगोवाल ने आदि धर्म आंदोलन के तहत शिक्षा के माध्यम से समाज में क्रांति ला दी, 1929 में उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर आदि धर्मी बच्चों की फीस माफ करवाई और सैकड़ों युवाओं को शिक्षक बनाया।
इस राजनीतिक ताकत से 7 आदि धर्मी विधायक चुने गए 1937 में बाबू मंगू राम स्वयं विधायक बने। 1946 में आर्थिक आजादी, 1900 का कुख्यात म्यूटेशन और ईराजी एक्ट समाप्त कर दलितों को जमीन खरीदने का अधिकार दिया गया। सामाजिक सम्मान, बेगार प्रथा समाप्त कर धार्मिक स्थलों में प्रवेश का अधिकार दिया गया। संत सतविंदर हीरा ने कहा कि बाबू मंगू राम अमर क्रांतिकारी थे, बाबू जी ने कहा था, हमारे पास तीन अजेय शक्तियां हैं, धर्म (धर्म), मजलिस (संगठन) और राष्ट्रीयता (राष्ट्रीयता), इन्हें हमसे कोई नहीं छीन सकता। 
बाबू जी का सपना था कि आजादी दलितों के दरवाजे तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि आज की जरूरत आदि धर्म का वैश्विक प्रचार-प्रसार, आज जब भारत एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, सतगुरु रविदास जी के बेगमपुरा (एक आदर्श समाज) के सपने को साकार करने के लिए आदि धर्म के सिद्धांतों को विश्व स्तर पर फैलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, आइए हम आदि धर्म के झंडे तले एकजुट हों और आदि धर्म के मार्ग पर चलें समतावादी समाज.