मुख्यमंत्री उड़नदस्ता इंचार्ज सुनैना की पुत्री पारुल का ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट में एक्जीक्यूटिव असिस्टेंट पद पर चयन

हरियाणा/हिसार: यदि हौसले बुलंद हों और इरादे मजबूत, तो गांव की गलियों से निकलकर भी बेटियाँ सात समुंदर पार अपना और अपने देश का नाम रोशन कर सकती हैं। ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है हल्के के गांव कुलेरी की बेटी पारुल नैन ने जिसके पिता किसान है और पूर्व में सरपंच रहे उस परिवार में जन्मी पारुल आज ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित ऑस्ट्रेलिया इंडियन इंस्टीट्यूट में एग्जीक्यूटिव अस्सिटेंट जैसे अहम पद पर कार्यरत हैं।

हरियाणा/हिसार: यदि हौसले बुलंद हों और इरादे मजबूत, तो गांव की गलियों से निकलकर भी बेटियाँ सात समुंदर पार अपना और अपने देश का नाम रोशन कर सकती हैं। ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है  हल्के के गांव कुलेरी की बेटी पारुल नैन ने जिसके पिता किसान है और पूर्व में सरपंच रहे उस परिवार में जन्मी पारुल
आज ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित ऑस्ट्रेलिया इंडियन इंस्टीट्यूट में एग्जीक्यूटिव अस्सिटेंट जैसे अहम पद पर कार्यरत हैं।

शुरुआती शिक्षा डीपीएस स्कूल से की ग्रहण
पारुल नैन, किसान दयानंद नैन (पूर्व सरपंच) व सुनैना की बेटी हैं। पारुल नैन के पिता गांव में खेतीबाड़ी का कार्य करते हैं तथा माता सुनैना वर्तमान में मुख्यमंत्री उड़नदस्ता हिसार की इन्चार्ज हैं। पारुल की माता सुनैना ने बताया कि पारुल ने प्रारंभिक पढ़ाई डीपीएस स्कूल हिसार से की,इसके बाद चंडीगढ़ के मेहर चंद महाजन कॉलेज से स्नातक और पंजाब यूनिवर्सिटी से गवर्नेस एंड लीडरशिप में स्नातकोत्तर किया। लेकिन पारुल यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने शिक्षा और मेहनत को हथियार बनाया और दो वर्ष पूर्व ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न पहुँचीं।
मेलबर्न यूनिवर्सिटी से उन्होंने पब्लिक पॉलिसी और मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके अतिरिक्त उनके पास गवर्नेंस और लीडरशिप में भी मास्टर डिग्री है।

*प्रशासन, शोध और नीति निर्माण में योगदान*
मुख्यमंत्री उड़नदस्ता इन्चार्ज सुनैना ने बताया कि बेटी पारुल नैन अब ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट में कार्यरत हैं, जहां वे संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और वरिष्ठ नेतृत्व को उच्च-स्तरीय सहयोग प्रदान करती हैं। वे संस्थान की रणनीतिक योजनाओं, शोध परियोजनाओं और भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
पारुल का अनुभव भारत में ज़िला स्तरीय प्रशासन, सार्वजनिक नीति अनुसंधान, और शैक्षणिक लेखन जैसे क्षेत्रों में रहा है। उन्होंने हरियाणा की विभिन्न सरकारी संस्थाओं में इंटर्नशिप भी की है।

*गांव में खुशी का माहौल, बेटी बनी प्रेरणा*
पारुल की इस उपलब्धि पर गांव कुलेरी में गर्व और खुशी का माहौल है। उनके पिता दयानंद नैन व माता सुनैना का कहना है, “पारुल ने हमेशा बड़े सपने देखे और उन्हें सच करने के लिए दिन-रात मेहनत की। उसने साबित कर दिया कि बेटियाँ किसी से कम नहीं।”

*शिक्षा और आत्मविश्वास से बदली किस्मत*
सुनैना ने कहा कि पारुल की कहानी उन लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद आगे बढ़ना चाहती हैं। गांव के एक साधारण किसान परिवार से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचना आसान नहीं था, लेकिन पारुल ने यह करके दिखाया। हालांकि अधिकारी होने का ज्ञान से शिक्षा के क्षेत्र में उनका बढ़ाने का मौका मिला जिससे वह आत्मविश्वासी बनी।

*पारुल ने माता पिता व मामा को दिया अपनी सफलता का श्रेय*
पारुल नैन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता दयानंद नैन, माता सुनैना व मामा डॉ भीम सिंह पूनिया को दिया और कहा कि मेरी माता ने मुझे एक अच्छा मार्गदर्शक, दोस्त, गुरु, माता बनकर आगे बढाया।   जिसकी बदौलत ही आज  यहां तक पहुंची हूँ। मुझे कामयाब करने के लिए खुद की खुशियों को भी बलिदान देने का काम किया है। जिसका मैं कभी कर्ज नहीं उतार पाऊंगी।