खालसा कॉलेज माहिलपुर के कृषि विभाग के विद्यार्थियों ने कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत इंटर्नशिप कार्यक्रम का आयोजन किया

माहिलपुर, 9 अप्रैल- बीएससी के छात्र यहां श्री गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज माहिलपुर के कृषि विभाग ने जीवी ऑर्गेनिक (होशियारपुर) के सहयोग से कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत एक इंटर्नशिप कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने होशियारपुर जिले के विभिन्न जैविक फार्मों और जैविक खेती से जुड़े प्रगतिशील किसानों के फार्मों का विशेष दौरा किया और जैविक खेती के माध्यम से न्यूनतम लागत में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के बारे में जानकारी प्राप्त की।

माहिलपुर, 9 अप्रैल- बीएससी के छात्र यहां श्री गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज माहिलपुर के कृषि विभाग ने जीवी ऑर्गेनिक (होशियारपुर) के सहयोग से कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत एक इंटर्नशिप कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने होशियारपुर जिले के विभिन्न जैविक फार्मों और जैविक खेती से जुड़े प्रगतिशील किसानों के फार्मों का विशेष दौरा किया और जैविक खेती के माध्यम से न्यूनतम लागत में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के बारे में जानकारी प्राप्त की। 
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने गांव हरिपुर (होशियारपुर) स्थित जीवी ऑर्गेनिक्स द्वारा तैयार की गई गंडोआ खाद और उसके उचित प्रयोग के बारे में जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर मैनेजर एवं इंजीनियर श्री प्रूथी और टीम सदस्य देवपाल ने बर्मी कम्पोस्ट खाद और उसके लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। इस दौरान विद्यार्थियों ने राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता सुरजीत सिंह के जैविक खेती में योगदान के बारे में भी जाना। 
कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों ने चीमा डेयरी फार्म (दल्लेवाल) में पशुपालन सहित ड्रिप सिंचाई के माध्यम से विभिन्न फसलों की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सैनी ड्रैगन फ्रूट के संचालकों द्वारा रोड (होशियारपुर) में फलों की खेती, ड्रैगन फ्रूट की मार्केटिंग तथा फलों की विविधता के बारे में भी बताया। 
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा चौहान ने बताया कि विद्यार्थियों को कृषि उपकरणों के उचित प्रयोग तथा हर्बल रिसर्च सेंटर एवं सोसायटी द्वारा कंडी क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण से संबंधित विभिन्न कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। 
कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. परविंदर सिंह ने विद्यार्थियों को ऐसे कार्यक्रमों में अधिकाधिक भाग लेने के लिए प्रेरित किया ताकि पारंपरिक फसलों से हटकर तिलहन, फलों तथा अन्य विविधीकरण के साथ कृषि अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ाते हुए पंजाब की कृषि को नए आयाम पर ले जाया जा सके।