जिले भर के कंप्यूटर अध्यापकों ने राज्य सरकार की अर्थी व झाड़ू दी पंड जलाकर किया जोरदार प्रदर्शन

नवांशहर- सरकारी स्कूलों में सेवारत राज्य भर के कंप्यूटर अध्यापक अपनी जायज मांगों को लेकर पिछले 126 दिनों से संगरूर डीसी कार्यालय के समक्ष भूख हड़ताल पर बैठे हैं, लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते अब कंप्यूटर अध्यापक नेता जोनी सिंगला ने 22 दिसंबर से आमरण अनशन शुरू कर दिया है। जिसकी गूंज अब पूरे पंजाब में सुनाई दे रही है। इसी कड़ी के तहत आज कंप्यूटर अध्यापक भूख हड़ताल कमेटी जिला शबाशा नगर द्वारा एक विशाल मार्च व विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया,

नवांशहर- सरकारी स्कूलों में सेवारत राज्य भर के कंप्यूटर अध्यापक अपनी जायज मांगों को लेकर पिछले 126 दिनों से संगरूर डीसी कार्यालय के समक्ष भूख हड़ताल पर बैठे हैं, लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते अब कंप्यूटर अध्यापक नेता जोनी सिंगला ने 22 दिसंबर से आमरण अनशन शुरू कर दिया है। जिसकी गूंज अब पूरे पंजाब में सुनाई दे रही है। इसी कड़ी के तहत आज कंप्यूटर अध्यापक भूख हड़ताल कमेटी जिला शबाशा नगर द्वारा एक विशाल मार्च व विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया, 
जिसमें बड़ी संख्या में कंप्यूटर अध्यापकों के साथ-साथ अन्य संगठनों के नेताओं ने भी बड़ी संख्या में भाग लेकर कंप्यूटर अध्यापकों के हक में आवाज उठाई और सरकार के लापरवाह व्यवहार की कड़ी निंदा की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में अध्यापकों ने हाथों में पंजाब सरकार मुर्दाबाद लिखी तख्तियां लेकर एकत्रित होकर राज्य सरकार की अर्थी व झाड़ू दी पंड जलाकर नारेबाजी की तथा जोरदार प्रदर्शन किया। 
इस अवसर पर कंप्यूटर अध्यापक भूख हड़ताल कमेटी की जिला इकाई के नेता लखवीर सिंह, भूपिंदर सिंह भटोआ, अमरजीत, नरेश कुमार, वरिंदर कुमार, हरप्रीत सिंह ने कहा कि वर्ष 2011 में तत्कालीन पंजाब सरकार ने कंप्यूटर अध्यापकों को नियमित कर दिया था, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उनके सभी अधिकार बहाल करने की बजाय सरकारों ने एक-एक करके उनके अधिकारों को खत्म करना शुरू कर दिया और मौजूदा आम आदमी पार्टी की सरकार भी उन्हीं शर्तों पर चल रही है। 
उन्होंने कहा कि जहां अन्य नियमित कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का लाभ दिया गया है, वहीं राज्य भर के कंप्यूटर अध्यापकों को इस लाभ से वंचित रखा गया है। इसी तरह, नियमितीकरण के 13 वर्ष बाद भी किसी भी कंप्यूटर अध्यापक को मेडिकल प्रतिपूर्ति जैसी जरूरी सहायता नहीं दी गई है, जिसके कारण पिछले समय में कई कंप्यूटर अध्यापक गंभीर बीमारियों के कारण मर चुके हैं, क्योंकि वे आर्थिक तंगी के कारण महंगा इलाज करवाने में असमर्थ थे। 
इतना ही नहीं, वर्तमान में कई कंप्यूटर अध्यापक स्वयं या उनके परिवार का कोई सदस्य विभिन्न गंभीर बीमारियों से पीड़ित है, जो मेडिकल प्रतिपूर्ति जैसी जरूरी सहायता के अभाव में अपना इलाज करवाने में असमर्थ हैं, लेकिन सरकार इस गंभीर समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस कंप्यूटर अध्यापकों के अधिकारों को लेकर पिछली सरकारों को कोसते रहे हैं, लेकिन अब जब उनकी अपनी पार्टी की सरकार है, तो वह कंप्यूटर अध्यापकों से बात करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह 1 सितंबर से लगातार संगरूर में भूख हड़ताल पर बैठे हैं, लेकिन किसी भी सरकारी नुमाइंदे ने उनकी बात सुनना उचित नहीं समझा, जिसके कारण उन्हें मजबूरन आमरण अनशन पर बैठने का फैसला लेना पड़ा है। तथा आज उनके साथी जोनी सिंगला पिछले पांच दिनों से आमरण अनशन पर डटे हुए हैं। 
अपनी मांगों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि उनकी कोई नई मांग नहीं है। उनकी एकमात्र मांग यह है कि उनके सभी लाभ नियमित क्रमानुसार बहाल किए जाएं, उन्हें छठे वेतन आयोग का लाभ देते हुए शिक्षा विभाग में मर्ज किया जाए तथा पूर्व में किसी कारणवश जिन कंप्यूटर शिक्षकों की मृत्यु हो गई है उनके परिवार के सदस्यों को बनती आर्थिक सहायता के साथ सरकारी नौकरी दी जाए। कंप्यूटर शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि समय रहते उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे सरकार के खिलाफ बड़ा जन आंदोलन छेड़ेंगे, जिसकी जिम्मेदार राज्य सरकार होगी। इस अवसर पर उपस्थित विभिन्न शिक्षक व अन्य संगठनों के नेताओं ने भी सरकार की कड़े शब्दों में निंदा की तथा मांग की कि कंप्यूटर शिक्षकों के अधिकार जल्द से जल्द बहाल किए जाएं अन्यथा राज्य सरकार परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। इस अवसर पर डीटीएफ से श्री मुकेश कुमार, श्री सुखदेव डांसवाल, श्री गुरदयाल सिंह मान, श्री नरिंजन जोत सिंह, श्री जगदीश राय उपस्थित थे।