निर्दोष होने के बावजूद 27 साल तक जेल में बंद रहे भाई वरियाम सिंह के परिवार की किसी ने सुध तक नहीं ली - बलवंत सिंह रामूवालिया

एस.ए.एस. नगर, 7 जून- लोक भलाई पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने आज यहां एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान निर्दोष होने के बावजूद 27 साल तक जेल में बंद रहे भाई वरियाम सिंह (अब स्वर्गवासी) की तीसरी पुत्री सुखबीर कौर, पोती सिमरनजीत कौर और पोते जगराज सिंह को पत्रकारों के सामने पेश करते हुए कहा कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

एस.ए.एस. नगर, 7 जून- लोक भलाई पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने आज यहां एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान निर्दोष होने के बावजूद 27 साल तक जेल में बंद रहे भाई वरियाम सिंह (अब स्वर्गवासी) की तीसरी पुत्री सुखबीर कौर, पोती सिमरनजीत कौर और पोते जगराज सिंह को पत्रकारों के सामने पेश करते हुए कहा कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
 ताकि सिख धर्म के लिए बलिदान देने वालों की उपेक्षा करने वाली कड़वी सच्चाइयां सामने आ सकें। उन्होंने कहा कि सिख धर्म के लिए अत्याचारों का सामना करने और न झुकने वाले बलिदानी व्यक्तियों का कोई सम्मान नहीं किया गया, बल्कि उनकी अवमानना की गई। 
उन्होंने कहा कि जेल में बंद भाई वरियाम सिंह के परिवार को किसी अकाली दल, शिरोमणि कमेटी, या किसी देसी-विदेशी संगठन ने न तो कोई वित्तीय सहायता दी और न ही कोई अन्य मदद। उन्होंने कहा कि इस दौरान केवल सरदार करनैल सिंह पंजोली, शिरोमणि कमेटी के सदस्य, ने उनकी वित्तीय सहायता की। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इंग्लैंड के सिखों ने भी भाई गुरजंट सिंह राज रेडियो की अपील पर कुछ पैसे भेजे।
 उन्होंने कहा कि सिख नेतृत्व (अकाली दल) ने उनकी कभी सुध तक नहीं ली और पति-पत्नी दोनों महीनों बाद बरेली के अस्पताल में कैंसर से जूझते हुए स्वर्गवास हो गए। उनका परिवार आज भी बेसहारा है और गरीबी का दंश झेल रहा है। उनका छोटा बेटा पाठ करके गुजारा करता है, और उनके बच्चों का भविष्य धुंधला नजर आ रहा है। 
उन्होंने कहा कि जब वे यूपी के जेल मंत्री बने, तब उन्हें पता चला कि वरियाम सिंह जेल में हैं और वे उनसे मिलने गए। जब वे भाई वरियाम सिंह को रिहा करने की तैयारी कर रहे थे, तब उन्हें भाई सूरत सिंह का संदेश मिला कि सरकार मजबूत है, अगर भाई वरियाम सिंह को दो-चार महीने रुककर रिहा किया जाए, तो मैंने जवाब दिया था कि दो-चार महीने तो क्या, मैं दो मिनट भी देर नहीं करना चाहता। 
इस अवसर पर पीलीभीत के निवासी भाई वरियाम सिंह के परिवार ने कहा कि उनकी सारी जमीन बिक चुकी है और हमारे अपने बच्चों का भविष्य खत्म होता नजर आ रहा है। उन्होंने सवाल किया कि अगर वे सिख समुदाय के लिए बलिदान दे सकते हैं, तो क्या सिख समुदाय उनकी मदद नहीं कर सकता।
 उन्होंने कहा कि अगर बलवंत सिंह रामूवालिया न होते, तो हमारे बुजुर्ग जेल में ही दम तोड़ देते। श्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने हमारे बुजुर्ग भाई वरियाम सिंह को जेल से बाहर निकालने के बाद उनका इलाज करवाया और हमें सहायता दी। उन्होंने कहा कि आज भी हम इनके पास धन्यवाद करने के लिए आए हैं। 
उन्होंने कहा कि हमारे जैसे हजारों अन्य परिवार, जिन्होंने सिख समुदाय के लिए बलिदान दिए, उनके बच्चे आज भी भूखे मर रहे हैं। क्या उनका हक नहीं कि अगर उन्होंने बलिदान दिया है, तो उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जाए?