
भाकपा माले ने पहलगाम हत्याकांड की न्यायिक जांच की मांग की
नवांशहर, 28 अप्रैल- आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) न्यू डेमोक्रेसी ने पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
नवांशहर, 28 अप्रैल- आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) न्यू डेमोक्रेसी ने पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए पार्टी नेता दलजीत सिंह एडवोकेट और कुलविंदर सिंह वड़ैच ने कहा कि उनकी पार्टी इस मासूम हत्या की कड़ी निंदा करती है और मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त करती है। ये हत्याएं न तो कश्मीरी लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं की पूर्ति करती हैं और न ही किसी धर्म के हित में हैं। उल्लेखनीय है कि कश्मीर में खासकर मुसलमान इस जघन्य हमले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।
यह हमला आरएसएस-भाजपा सरकार की राजनीतिक और प्रशासनिक विफलता का स्पष्ट उदाहरण है, जिसका जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों पर पूरा नियंत्रण है क्योंकि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है। आरएसएस-भाजपा ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा की जड़ अनुच्छेद 370 और 35ए है, लेकिन 5 अगस्त 2019 को इनके निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर और स्थिति सामान्य होने के सभी दावे झूठे साबित हुए हैं। केंद्र सरकार ने लोकतांत्रिक आवाज को दबाने के लिए हर तरह की जोर-जबरदस्ती की है। बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हुई हैं और मीडिया समेत हर आवाज को दबाने की कोशिश की गई है।
लेकिन फिर भी ये कदम असफल साबित हुए हैं। इसलिए पर्यटकों की सुरक्षा में विफलता के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए। नेताओं ने कहा कि पहलगाम में हिंदू पर्यटकों की ये सामूहिक हत्याएं ऐसे समय हुई हैं, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत दौरे पर आए हुए हैं। इससे पहले चित्तीसिंहपुरा में सिखों की हत्या हो चुकी है।
यह घटना उस समय हुई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आए थे और पुलवामा हमला भी चुनाव से ठीक पहले हुआ था। हत्याओं का समय परिस्थितियों पर संदेह पैदा करता है। इसलिए जरूरी है कि पहलगाम हत्याओं और नागरिकों की सुरक्षा में विफलता की पूरी जांच की जाए। यह जांच उच्चतम स्तर की न्यायिक जांच होनी चाहिए ताकि सभी तथ्य लोगों के सामने आ सकें। लोगों को युद्ध के माहौल का विरोध करना चाहिए।
आरएसएस-भाजपा के नेता, जिनके राज्य में ये हत्याएं हुईं, अब इस घटना का राजनीतिक फायदा उठाकर धार्मिक विभाजन को गहरा करने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि सभी धर्मों के लोगों ने इसकी निंदा की है। मौजूदा सरकार इस स्थिति का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए आतुर है। इसलिए सभी प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और शांतिप्रिय तत्वों को धार्मिक विभाजन के प्रयासों को विफल करना चाहिए और हत्याओं का इस्तेमाल जाति-धर्म के जहर को फैलाने के लिए नहीं करना चाहिए।
पर्यटन उद्योग पर हमले से दुकानदारों और छोटे व्यापारियों की आय को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
