
हिमाचल प्रदेश कराह रहा है — क्या हम समय रहते सुनेंगे?
मैं हिमाचल प्रदेश में जन्मा और पला-बढ़ा — ये पहाड़ मेरे खेल का मैदान थे, ये नदियाँ मेरी मित्र, और ये जंगल मेरा आश्रय। मैं उस दुनिया में बड़ा हुआ जहाँ प्रकृति कोई दूर की चीज़ या व्यापारिक वस्तु नहीं थी, बल्कि हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा थी। हम नदियों के किनारे खेलते, पहाड़ियों पर चढ़ते, और शुद्ध पहाड़ी हवा में साँस लेते। बचपन से ही हमने सीखा कि इस धरती का सम्मान करना है, जिसने हमें माँ की तरह पाला। ये यादें मेरे दिल में गहरे बसी हैं, जो मुझे उस सच्चे सामंजस्य की याद दिलाती हैं।
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समाज कहाँ जा रहा है, बच्चे भी सुरक्षित नहीं?
कुछ घटनाएँ हमारे पैरों तले की ज़मीन को हिला कर रख देती हैं और इंसान होने की परिभाषा को सवालों के घेरे में खड़ा कर देती हैं। बच्चों के विरुद्ध अपराध हमेशा से एक भयानक हकीकत रहे हैं, लेकिन हाल ही में एक डरावनी प्रवृत्ति सामने आई है। ये अपराध उन बच्चों के विरुद्ध हो रहे हैं जो इतने छोटे हैं कि वे अपराधों या शोषण का मतलब भी नहीं समझते। जब पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के विरुद्ध यौन शोषण और बेरहम हिंसा की घटनाएँ सुनते हैं, तो मन में सवाल उठता है: हमारा समाज कहाँ जा रहा है? हमारी अंतरात्मा को क्या हो गया जो ऐसी भयानक घटनाओं की मूक दर्शक बन कर रह गई है?
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जीएसटी 2.0: जनता की राहत या वोट की चाल?
दीवाली की रौनक शुरू होने से ठीक पहले, भारत ने 22 सितंबर, 2025 को अपने जीएसटी ढांचे में बड़ा बदलाव कर दिया। इसे जीएसटी 2.0 कहा जा रहा है, और यह 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद सबसे बड़े कर सुधारों में से एक है। पुरानी 5%, 12%, 18% और 28% की जटिल स्लैब व्यवस्था को अब दो दरों—5% और 18%—में समेट दिया गया है, जिसमें विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर 40% की विशेष दर है। आम आदमी के लिए यह सस्ते सामान और स्वास्थ्य सेवाओं का वादा लेकर आया है, लेकिन 48,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे और आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में सवाल उठता है: क्या यह सच्चा सुधार है या केवल चुनावी चमक?
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बाढ़ का कहर: एक बड़ी चुनौती
हालांकि हर साल मानसून का मौसम सभी के लिए परेशानियों से भरा होता है, लेकिन उत्तर भारत की भौगोलिक स्थिति के कारण प्रकृति और भी विनाशकारी हो जाती है। पंजाब की सीमाएँ पहाड़ी राज्यों, जम्मू और कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश से लगती हैं। इन क्षेत्रों से निकलने वाली रावी, सतलुज और ब्यास नदियाँ पंजाब में पहुँचकर, विशेष रूप से बरसात के मौसम में, विकराल रूप धारण कर लेती हैं।
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बाढ़ का कहर - जनता बेहाल
पंजाब इन दिनों बाढ़ की मार झेल रहा है। पंजाब की तीन नदियों के आसपास के क्षेत्र भारी परेशानियों और तबाही का सामना कर रहे हैं। भले ही हम इसे प्राकृतिक आपदा कह सकते हैं, लेकिन काफी हद तक मानवीय गलतियाँ भी इस आपदा का कारण बन रही हैं। पंजाब में बाढ़ का मुख्य कारण पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में अचानक बादल फटना और पौंग डैम और भाखड़ा डैम में जल स्तर बढ़ने के कारण फ्लड गेट खोलना है।
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अलविदा! डॉ. जसविंदर भल्ला जी!!
पंजाबी मनोरंजन उद्योग को आज एक अपूरणीय क्षति हुई है। हमारे सभी के प्रिय हास्य कलाकार, डॉ. जसविंदर भल्ला जी, आज 65 वर्ष की आयु में इस नश्वर संसार को अलविदा कह गए। अपने अनुपम और अनूठे अंदाज में हर प्रकार के किरदार निभाने के लिए पंजाबी फिल्मों के अत्यंत महत्वपूर्ण पात्र जसविंदर भल्ला ने देश-विदेश के दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। उन्होंने लगन और दृढ़ परिश्रम के साथ अपना एक अलग मुकाम हासिल किया।
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ज्वलंत मुद्दा: आवारा कुत्तों का पुनर्वास
हाल के दिनों में आवारा जानवरों की समस्या, विशेष रूप से आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ती संख्या, चर्चा का एक गर्मागर्म विषय बन गया है। यह शहरीकरण से जुड़ी प्रमुख समस्याओं में से एक बड़ी और गंभीर समस्या है। वास्तव में, यह पूरे देश के लिए एक चुनौती है। आवारा कुत्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि जन स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है। ऐसी कई खबरें सामने आती हैं जिनमें ये कुत्ते छोटे बच्चों या बुजुर्गों पर हमला करते हैं, और कई बार मृत्यु भी हो जाती है।
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डॉक्टर का कर्तव्य: रोगों का नाश, स्वास्थ्य का विकास
आज के युग में, जब प्रदूषण का स्तर खतरनाक हद तक बढ़ चुका है और खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण बीमारियों की बाढ़ आ गई है, तब डॉक्टरों और चिकित्सा सहायता का महत्व बहुत बढ़ जाता है। एक मरीज और उसके परिवार के लिए डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है। लोग उनके पास जिंदगी और स्वास्थ्य की उम्मीद लेकर आते हैं। भारत जैसे विकासशील और घनी आबादी वाले देश में सस्ती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं की बहुत आवश्यकता है।
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अमर शहीद सरदार ऊधम सिंह जी
"ज़रा याद करो कुर्बानी!!" पंजाब, भले ही क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से एक छोटा राज्य हो, लेकिन देश को आजाद कराने के लिए इस प्रांत के लोगों की कुर्बानियाँ सबसे अधिक और बेमिसाल हैं। पंजाब की मिट्टी ने यहाँ के निवासियों को सम्मान और गर्व के साथ जीने की प्रेरणा दी है। प्रसिद्ध कवि प्रोफेसर पूरन सिंह की कविता जवान पंजाब दे की पंक्तियाँ पंजाबियों के कुर्बानी के जज्बे को बखूबी बयान करती हैं:
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लाल फीताशाही: आम नागरिक के धैर्य की परीक्षा
मालवा के प्रसिद्ध पंजाबी कवि जगसीर जीदा, जो अपनी कविताओं के लिए मंचीय कवि के रूप में विख्यात हैं, की एक पंक्ति है:
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सरकारों का पर्यटन, पहाड़ों की तबाही
कभी अप्रैल में सर्दियों जैसी ठंड, तो कभी जून में बारिश। कभी महीनों तक बारिश नहीं होती, और कभी बादल इस कदर फटते हैं। मौसम अब अपने पारंपरिक चक्र से हट गया है। हाल के वर्षों में, हम बादल फटने की घटनाएँ देख रहे हैं, जो घरों को तोड़ देती हैं, सड़कों को बंद कर देती हैं, और जानें ले लेती हैं। ये खतरनाक घटनाएँ अब बार-बार हो रही हैं।
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मनुष्य का बचपन से लेकर बुढ़ापे तक का सफर
निरंतर परिवर्तन की प्रक्रिया को जीवन कहते हैं| मनुष्य का बचपन से लेकर बुढ़ापे तक का सफर अनगिनत मोड़ों से गुजरते हुए तय होता है। भारत के कई राज्यों में सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष है, जबकि केदरी सरकार के कर्मचारियों के लिए यह अवधि 60 वर्ष निर्धारित की गई है। परंपरागत रूप से वृद्धावस्था 65 वर्ष मानी जाती है, लेकिन इसके कारण जीव विज्ञान में नहीं बल्कि इतिहास में मिलते हैं। कई साल पहले, जर्मनी में 65 वर्ष की आयु को सेवानिवृत्ति की आयु के रूप में चुना गया था इसी तरह अमेरिका में साल 1965 में स्वास्थ्य बीमा की उम्र 65 साल मानी गई थी वैसे भारत जैसे प्रगतिशील देश के लोगों की तुलना घूराप या उन्नत अर्थव्यवस्था वाले लोगों से नहीं की जा सकती।
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हमारे नौजवानों के दर्द को सुनने की ज़रूरत
पिछले कुछ हफ़्तों में चंडीगढ़ और आस-पास के इलाकों में कई युवाओं ने आत्महत्या कर ली है। लेकिन यह संवेदनशील ख़बर भी शायद ज़्यादातर लोगों के लिए अनसुनी ही रह गई। सत्रह — यह सिर्फ़ एक आंकड़ा नहीं है। ये उजड़े हुए परिवार, कभी न पूरे होने वाले सपने और अधूरी रह गई कहानियाँ हैं। इन घटनाओं की ख़ामोशी हमें एक गंभीर सच्चाई बता रही है: हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ नौजवान अंदर से टूट रहे हैं, लेकिन उनकी पुकार बार-बार अनसुनी रह जाती है।
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कानून के अनुसार कानूनी निर्णय
आज के समय में मनुष्य में हिंसक प्रवृत्ति खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है। पूरी दुनिया की सबसे बड़ी चिंता दिन-प्रतिदिन बढ़ती आक्रामक हरकतें हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो युवा इस प्रवृत्ति से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। लोगों में सहनशीलता, संयम, क्षमा और करुणा जैसे नैतिक गुण कम होते जा रहे हैं या खत्म होते जा रहे हैं। युवा कानून की परवाह किए बिना हिंसक कृत्य कर रहे हैं।
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जलवायु परिवर्तन: गर्मी का प्रकोप
उत्तर भारत इन दिनों भीषण गर्मी का सामना कर रहा है। ब्रह्मांड का हर जीव, मनुष्य, पशु, पक्षी और पेड़-पौधे इस भीषण गर्मी से परेशान हैं। गर्मी इतनी प्रचंड है कि पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में तो दिन का तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मौसम का ऐसा भयावह रूप हमारी धरती और मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। पिछले कुछ दशकों से मौसम में आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। मौजूदा दौर में मौसम विज्ञानी ग्लोबल वार्मिंग की बात करते हैं, दरअसल यह धरती की सतह के पास तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि की एक प्रक्रिया है। अगर ग्लोबल वार्मिंग के कारणों की बात करें तो इसका मुख्य कारण धरती पर दिन-प्रतिदिन हरियाली का कम होना है।
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अति-शहरीकरण: एक गंभीर समस्या
5 जून को हर साल "विश्व पर्यावरण दिवस" के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस पहली बार 1973 में आम जनता में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया गया था। हमारे पर्यावरण में दिन-प्रतिदिन कई तरह के प्रदूषण फैल रहे हैं, जिनमें समुद्री प्रदूषण, बढ़ती जनसंख्या, ग्लोबल वार्मिंग, शहरीकरण से जुड़ी समस्याएं और प्राकृतिक संसाधनों में प्रदूषण का फैलना शामिल है। विकास के साथ-साथ शहरी बस्तियाँ और जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही प्लास्टिक से जुड़ा प्रदूषण भी खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है, "प्लास्टिक प्रदूषण को वैश्विक स्तर पर समाप्त करना"।
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पंजाब में नशाखोरी
पिछले कुछ दशकों से हमारा मुस्कुराता पंजाब विभिन्न नए दौर के नशे की त्रासदी झेल रहा है। इनमें रासायनिक नशे भी शामिल हैं जो आज के युवाओं को खा रहे हैं। हर दिन नशे की ओवरडोज के कारण हर गांव और शहर में युवा लड़के मर रहे हैं। पीछे छूटे परिवार कर्ज और बर्बादी की त्रासदी में अपना जीवन गुजार रहे हैं। आज की सरकारों और परिवारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती युवाओं और बच्चों को इस बुरी घाटी के कहर से बचाना है।
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वीरता और बलिदान की अनूठी मिसाल: भारतीय सेना
सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों का गौरवशाली इतिहास हमें देश के वीर योद्धाओं के अद्वितीय बलिदानों की याद दिलाता है। स्वतंत्रता के बाद 1971 के युद्ध के परिणामस्वरूप विश्व मानचित्र पर एक नए राष्ट्र का उदय हुआ- बांग्लादेश। इस युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों ने निर्णायक विजय हासिल की, जिसमें पाकिस्तान के 93 हजार युद्धबंदी पकड़े गए। इसी प्रकार, जुलाई 1987 से मार्च 1990 की अवधि के दौरान भारतीय सेना ने श्रीलंका में तमिल आतंकवादियों से युद्ध किया और वहां शांति स्थापित की।
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रोज़मर्रा की ज़िंदगी में A.I का उदय
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या A.I धीरे-धीरे भारत में रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है। यह हमें उन तरीकों से मदद करता है, जिन पर हम हमेशा ध्यान नहीं देते। फ़ोन पर चेहरे की पहचान से लेकर बेहतर मूवी सिफ़ारिशों तक, आसान सवालों के जवाब देने वाले वॉयस असिस्टेंट से लेकर ट्रैफ़िक जाम से बचने में मदद करने वाले ऐप तक, A.I ने अपनी जगह बना ली है। अब ग्रामीण इलाकों में भी, किसानों को A.I-संचालित ऐप के ज़रिए मौसम की जानकारी और फ़सल की सलाह मिलती है।
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भारत में कार्गो शिपिंग निवेश और विकास की संभावनाएँ
7,500 किलोमीटर से ज़्यादा लंबी अपनी विशाल और गतिशील तटरेखा के साथ, भारत लंबे समय से समुद्री व्यापार के लिए भौगोलिक केंद्र रहा है। लेकिन जो कभी एक शांत शक्ति केंद्र था, वह अब देश की आर्थिक वृद्धि का एक स्तंभ बनकर उभर रहा है। शिपिंग उद्योग, जो अक्सर पिछड़ा हुआ होता है, दीर्घकालिक निवेश और राष्ट्रीय विकास के लिए देश के सबसे आशाजनक क्षेत्रों में से एक के रूप में ध्यान आकर्षित कर रहा है।
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