पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में ‘सस्टेनेबिलिटी और क्लाइमेट चेंज’ पर सेमिनार का हुआ आयोजन

चंडीगढ़, 17 अप्रैल 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने ग्रीनफिंच के सहयोग से "सस्टेनेबिलिटी और क्लाइमेट चेंज" विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया। इस ज्ञानवर्धक सत्र में दो प्रतिष्ठित विशेषज्ञ – डॉ. शबनम बस्सी (डिप्टी सीईओ, गृहा काउंसिल) और श्री अजय भरत अरोड़ा (वाइस प्रेसिडेंट, एनर्जी ऑडिटिंग, ग्रीनफिंच) ने बतौर मुख्य वक्ता अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

चंडीगढ़, 17 अप्रैल 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने ग्रीनफिंच के सहयोग से "सस्टेनेबिलिटी और क्लाइमेट चेंज" विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया। इस ज्ञानवर्धक सत्र में दो प्रतिष्ठित विशेषज्ञ – डॉ. शबनम बस्सी (डिप्टी सीईओ, गृहा काउंसिल) और श्री अजय भरत अरोड़ा (वाइस प्रेसिडेंट, एनर्जी ऑडिटिंग, ग्रीनफिंच) ने बतौर मुख्य वक्ता अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
कार्यक्रम की शुरुआत हेड प्रो. रिंटू खन्ना द्वारा मुख्य अतिथियों का स्वागत करने से हुई। इस अवसर पर डॉ. मनोहर सिंह और डॉ. जयमाला गंभीर (एसोसिएट प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल विभाग) सहित विभाग के सभी शिक्षकगण और छात्र उपस्थित रहे।
डॉ. शबनम बसी, जो टीइआरआई (द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट) में सस्टेनेबल बिल्डिंग डिवीजन की निदेशक भी हैं, ने जलवायु परिवर्तन और इमारतों के क्षेत्र में इसकी भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट, 2030 का सतत विकास एजेंडा, और क्योटो प्रोटोकॉल जैसी वैश्विक प्रतिबद्धताओं की चर्चा की। इसके साथ ही भारत के नेट-जीरो 2070 लक्ष्य और ‘पंचामृत’ – जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की पाँच प्रमुख प्रतिज्ञाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया।
उन्होंने यूएनडीपी और ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया, कि किस तरह ऊर्जा कुशल इमारतों और ग्रीन बिल्डिंग के विकास में नीति और परियोजनाओं का अहम योगदान है।
इसके बाद श्री अजय भरत अरोड़ा ने अपनी बात रखी। 40 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाले इस केमिकल इंजीनियर ने ऊर्जा प्रबंधन, डिकार्बोनाइजेशन और प्रोसेस ऑप्टिमाइजेशन जैसे क्षेत्रों में अपने काम की झलक दी। उन्होंने सर्कुलर इकोनॉमी, डिमर इफेक्ट ऑन अर्थ, और जलवायु से जुड़े वैश्विक संकटों पर सरल लेकिन प्रभावशाली ढंग से बात की। उन्होंने कहा, “सस्टेनेबिलिटी कोई पढ़ने या बहस करने का विषय नहीं है — यह हमारे जीवन का हिस्सा है।” उनकी बातें छात्रों के लिए बेहद प्रेरणादायक रहीं।
कार्यक्रम का समापन प्रश्नोत्तर सत्र और प्रतिभागियों के उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया के साथ हुआ। यह सत्र न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि सभी को पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रति एक नई सोच और ज़िम्मेदारी के साथ जोड़ गया।