शहीद-ए-आजम भगत सिंह की भतीजी भूपिंदर कौर का निधन

होशियारपुर- शहीद-ए-आजम भगत सिंह की भतीजी और छोटे भाई राजिंदर सिंह की बेटी भूपिंदर कौर संघा का निधन हो गया है। वह अपने परिवार के साथ होशियारपुर के सिविल लाइन इलाके (पुरानी कचहरी चौक के नजदीक) में रहती थीं। उनका अंतिम संस्कार आज चो पार स्थित शिवपुरी में पूरे सम्मान के साथ किया गया।

होशियारपुर- शहीद-ए-आजम भगत सिंह की भतीजी और छोटे भाई राजिंदर सिंह की बेटी भूपिंदर कौर संघा का निधन हो गया है। वह अपने परिवार के साथ होशियारपुर के सिविल लाइन इलाके (पुरानी कचहरी चौक के नजदीक) में रहती थीं। उनका अंतिम संस्कार आज चो पार स्थित शिवपुरी में पूरे सम्मान के साथ किया गया। 
इस अवसर पर शहर की सभी राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों के अलावा बड़ी संख्या में मौजूद वकीलों ने संघा परिवार के साथ दुख साझा किया। इस दौरान उनके बड़े बेटे सुखजिंदर सिंह संघा और छोटे बेटे एडवोकेट सुखजिंदरजीत सिंह संघा ने उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया। आपको बता दें कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह के विचारों को आम लोगों तक पहुंचाने और इस मशाल को जलाए रखने के लिए स. भूपिंदर कौर और उनके छोटे बेटे एडवोकेट सुखविंदरजीत सिंह संघा ने कई कार्यक्रमों का आयोजन किया और कई संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेकर आजादी के बाद के भारत के सपने को साकार करने का प्रयास किया। 
इस अवसर पर जहां शहर और आसपास के क्षेत्रों से सैकड़ों लोगों ने भूपिंदर कौर को अंतिम विदाई दी, वहीं दुख की बात यह रही कि सरकार और जिला प्रशासन का एक भी नुमाइंदा उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ। एक ओर जहां सरकार शहीदों और उनके परिवारों के सम्मान के साथ काम करने के लिए लोगों को प्रेरित करते नहीं थकती, वहीं शहीदों के नाम पर वोटों की राजनीति भी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन सरकार और सरकारी तंत्र शहीद-ए-आजम भगत सिंह के परिवार को भूल गया।
 जिसके चलते वहां मौजूद लोगों में भारी विरोध हुआ और लोगों का कहना था कि कम से कम शहीद भगत सिंह के परिवार को तो बनता सम्मान मिलना चाहिए। इस अवसर पर एडवोकेट सुखविंदरजीत सिंह संघा ने माता भूपिंदर कौर के जीवन इतिहास से अवगत करवाते हुए सरकार व जिला प्रशासन की बेरुखी के खिलाफ पूरे मन से अपना विरोध जताया। इस अवसर पर माता भूपिंदर कौर को श्रद्धांजलि देते हुए नगर सुधार ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन एडवोकेट राकेश मरवाहा ने कहा कि वह कई कार्यक्रमों में माता भूपिंदर कौर से मिल चुके हैं और उनके अनुभवों तथा भगत सिंह व उनके परिवार की देश के प्रति सोच पर चर्चा कर चुके हैं। 
उन्होंने कहा कि शहीदों को उनके विशेष दिवसों पर याद करने से हमारा फर्ज पूरा नहीं होता, बल्कि उनके परिवारों के साथ सौहार्द बनाए रखना तथा उनके दुख-सुख में उनके साथ खड़े होना भी हमारा फर्ज है। दुख की बात है कि अगर सरकार व जिला प्रशासन महान नायक शहीद भगत सिंह के परिवार को भूल गया है तो आम लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है।