
अधिकारियों को शिक्षक स्थानांतरण नीति को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए – जीटीयू पंजाब
मोहाली, 6 अगस्त- शिक्षा विभाग की शिक्षक स्थानांतरण नीति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन (जीटीयू) पंजाब के राज्य अध्यक्ष सुखविंदर सिंह चहल, महासचिव गुरबिंदर सिंह ससकौर, वित्त सचिव अमनदीप शर्मा और प्रेस सचिव करनैल फिल्लौर ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा कि विभाग ने एक पत्र जारी कर दावा किया था कि 5 और 6 अगस्त को शिक्षक स्टेशन चॉइस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मोहाली, 6 अगस्त- शिक्षा विभाग की शिक्षक स्थानांतरण नीति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन (जीटीयू) पंजाब के राज्य अध्यक्ष सुखविंदर सिंह चहल, महासचिव गुरबिंदर सिंह ससकौर, वित्त सचिव अमनदीप शर्मा और प्रेस सचिव करनैल फिल्लौर ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा कि विभाग ने एक पत्र जारी कर दावा किया था कि 5 और 6 अगस्त को शिक्षक स्टेशन चॉइस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
लगभग दो महीने से स्टेशन चॉइस की प्रतीक्षा कर रहे शिक्षकों के लिए विभाग सही स्टेशन उपलब्ध नहीं करा सका। स्थानांतरण के लिए सभी स्टेशन नहीं दिखाए जा रहे हैं, और जो दिखाए जा रहे हैं, वहां पद उपलब्ध नहीं हैं।
हेड टीचरों को सीएचटी (सेंटर हेड टीचर) स्टेशन दिखाए जा रहे हैं, और सरप्लस पदों पर स्थानांतरण के लिए चॉइस मांगी जा रही है। ये कमियां स्थानांतरण नीति को कमजोर कर रही हैं। इसलिए, इस नीति को कमजोर करने की मंशा रखने वाले अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
शिक्षक नेता कुलदीप पुरोवाल, गुरप्रीत अमीवाल, गुरदीप बाजवा और मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि प्रमोशन के बाद खाली हुए कुछ स्टेशन चॉइस लिस्ट में नहीं दिखाए गए, और कुछ ऐसे स्टेशन दिखाए गए हैं जहां छात्रों की संख्या के आधार पर पद बनते ही नहीं हैं, जिसका खामियाजा बाद में शिक्षकों को भुगतना पड़ सकता है।
अब जानकारी सामने आई है कि कई खाली स्टेशन स्थानांतरण की स्टेशन चॉइस लिस्ट में शामिल ही नहीं किए गए। इसके अलावा, कुछ ऐसी जगहों पर चॉइस मांगी गई जहां पद बनते ही नहीं थे। नेताओं ने आरोप लगाया कि विभाग शिक्षकों को परेशान कर रहा है और स्टेशन चॉइस के नाम पर उन्हें मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहा है।
शिक्षा विभाग की शिक्षक स्थानांतरण नीति को लेकर पहले भी कई बार सवाल उठते रहे हैं, और अब फिर से सवाल खड़े हो गए हैं, जिसके कारण शिक्षक वर्ग में नाराजगी का माहौल है। मुख्य समस्याओं में से एक यह है कि स्टेशन चॉइस के लिए कम समय दिया गया है, और वेबसाइट का ठीक से काम न करना भी शिक्षकों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
कई खाली स्टेशनों को स्थानांतरण के लिए स्टेशन चॉइस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया, जिससे शिक्षकों को अपनी पसंद के स्टेशन चुनने का मौका नहीं मिला। इसके अलावा, कुछ ऐसी जगहों पर स्टेशन चॉइस मांगी गई है जहां पदों का सृजन ही नहीं हुआ, जो नीति की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।
शिक्षक नेताओं का मानना है कि विभाग ने स्थानांतरण प्रक्रिया में स्पष्टता और निष्पक्षता की कमी दिखाई है। शिक्षा विभाग ने 2024 में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन 2025 की नीति में भी वही गलतियां दोहराई जा रही हैं।
नेताओं का कहना है कि ऐसी खामियों से न केवल शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ती हैं, बल्कि शिक्षा प्रणाली पर भी बुरा असर पड़ता है। जीटीयू पंजाब ने विभाग के इस रवैये की कड़ी निंदा की है और मांग की है कि स्थानांतरण प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए।
