पीआरटीसी रिटायर्ड वर्कर्स यूनियन ने सरकार की लापरवाही के खिलाफ किया प्रदर्शन

पटियाला 13 मई: आज पीआरटीसी रिटायर्ड वर्कर्स कम्युनिटी यूनियन, एटक की प्रांतीय मासिक बैठक सर्व श्री निर्मल सिंह धालीवाल संरक्षक, मोहम्मद खलील महासचिव, उत्तम सिंह बागड़ी अध्यक्ष के नेतृत्व में पटियाला में हुई। बैठक शुरू होने से पहले मंच से पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा शहीद हुए 26 पर्यटकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया और पाकिस्तान द्वारा किए गए हमलों के दौरान शहीद हुए सेना के जवानों और नागरिकों को भी श्रद्धांजलि दी गई। पाकिस्तान के नापाक इरादों और आतंकवादी कृत्यों की भी कड़ी निंदा की गई।

पटियाला 13 मई: आज पीआरटीसी रिटायर्ड वर्कर्स कम्युनिटी यूनियन, एटक की प्रांतीय मासिक बैठक सर्व श्री निर्मल सिंह धालीवाल संरक्षक, मोहम्मद खलील महासचिव, उत्तम सिंह बागड़ी अध्यक्ष के नेतृत्व में पटियाला में हुई। बैठक शुरू होने से पहले मंच से पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा शहीद हुए 26 पर्यटकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया और पाकिस्तान द्वारा किए गए हमलों के दौरान शहीद हुए सेना के जवानों और नागरिकों को भी श्रद्धांजलि दी गई। पाकिस्तान के नापाक इरादों और आतंकवादी कृत्यों की भी कड़ी निंदा की गई।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के 200 से अधिक पेंशनरों को संबोधित करते हुए निर्मल सिंह धालीवाल ने कहा कि पंजाब सरकार पीआरटीसी के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। और इसमें कार्यरत मजदूरों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के मुद्दों के प्रति पूरी तरह से अगंभीर रवैया अपनाकर पीआरटीसी को मुफ्त यात्रा के लिए लगभग 600 करोड़ रुपए का भुगतान न करके मजदूरों का बेरहमी से आर्थिक शोषण कर रही है क्योंकि जहां इस कारण से मजदूरों को हर महीने बहुत देरी से वेतन व पेंशन दी जाती है। 
वहीं मजदूरों का कम से कम 180 करोड़ रुपए का वित्तीय बकाया भी वर्षों से नहीं दिया जा रहा है। न ही इस सरकार ने अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में इस संस्था में एक भी नई बस लाने की अनुमति दी है। जिसके कारण हर दिन कम से कम 80000 किलोमीटर रूट छूट जाते हैं, जनता को बेहतर बस यात्रा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं और संस्था को भी भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, लेकिन फिर भी सरकार सत्ता के नशे में बड़े-बड़े झूठे दावे करती रहती है। 
सरकार की ऐसी नीति का मतलब सीधे तौर पर निजी बस माफिया को लाभ पहुंचाना है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों से एलटीसी के उनके कानूनी अधिकारों को अवैध तरीके से छीना जा रहा है। मेडिकल बिलों का भुगतान समय पर नहीं किया जाता। वेतन आयोग के बकाया भुगतान की जिम्मेदारी के बारे में प्रबंधन की चुप्पी अच्छे प्रबंधन की निशानी नहीं है। हैरानी की बात है कि सरकार बनने के समय से ही पीआरटीसी के उचित प्रबंधन के लिए राजनीतिक चेयरमैन नियुक्त किया गया है। 
लेकिन वह अभी तक ऐसा कोई चमत्कार नहीं दिखा पाए हैं जिससे किसी भी पहलू में पीआरटीसी की तरक्की में मदद मिली हो। बल्कि संस्था बहुत ही बुरे हालात की ओर बढ़ रही है। जहां तक कर्मचारियों के लिए किसी तरह के कल्याणकारी कदम उठाने की बात है तो ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता। क्योंकि मामूली वेतन के बदले ठेका/आउटसोर्स कर्मचारियों की आर्थिक लूट बदस्तूर जारी है। उनकी नौकरियों को स्थायी करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। 
वेतन और पेंशन देने के लिए मुफ्त यात्रा के बदले सरकार को मिलने वाली राशि में से थोड़ा या बहुत पैसा लेने के लिए पीआरटीसी को भी भिखारी की तरह बना दिया गया है। क्या किसी भी तरह से जनता द्वारा चुनी गई सरकार द्वारा किसी संस्था और उसके कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार कोई अच्छा कह सकता है? इसे सरकार की गंभीरता की कमी और लापरवाही ही कहा जा सकता है। अब चेयरमैन को सोचना चाहिए कि उनकी क्या भूमिका है और वे उस भूमिका के साथ कितना न्याय कर पाए हैं। 
सभा को संबोधित करने वाले अन्य नेताओं सर्व श्री मोहम्मद खलील महासचिव, उत्तम सिंह बागड़ी अध्यक्ष, रमेश कुमार उप महासचिव और राम सरूप अग्रवाल ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों, वर्तमान कर्मचारियों और पीआरटीसी संस्था पर हो रहे अत्याचारों को कर्मचारी ज्यादा समय तक मूकदर्शक बनकर नहीं देखेंगे। बल्कि सरकार की दादागिरी, इस संस्था और इसमें काम करने वाले कर्मचारियों को हो रहे नुकसान को संघर्ष के जरिए जनता की अदालत में ले जाएंगे।