अब पंजाब के पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा पर बड़ा आरोप लगा है, हाई कोर्ट ने कसा शिकंजा

चंडीगढ़, 27 अक्टूबर (पैगाम-ए-जगत)- पंजाब के पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा के इशारे पर पातड़ां रोड समाना स्थित हरमन मिल्क फूड कंपनी में तोड़फोड़ करने और इलाके के 2 करोड़ पेड़ काटकर बेचने का मामला सामने आया है।

चंडीगढ़, 27 अक्टूबर (पैगाम-ए-जगत)- पंजाब के पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा के इशारे पर पातड़ां रोड समाना स्थित हरमन मिल्क फूड कंपनी में तोड़फोड़ करने और इलाके के 2 करोड़ पेड़ काटकर बेचने का मामला सामने आया है। कंपनी की डायरेक्टर चेयरपर्सन रचना गर्ग ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी और अपने परिवार की जान को खतरा बताते हुए जान सुरक्षा की मांग की है, जिन्होंने इस काम में रखड़ा की मदद की है.
हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप मोदगिल ने मामले की सुनवाई करते हुए तमाम दस्तावेज और सबूत देखने और एडवोकेट अमर विवेद की दलीलें सुनने के बाद गंभीरता दिखाते हुए पंजाब के गृह सचिव, डी.जी.पी., डी.सी. पटियाला के एसएसपी, नगर निगम समाना के कमिश्नर और अन्य संबंधित अधिकारियों को याचिकाकर्ता की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एडवोकेट राजीव गोदारा को स्थानीय कमिश्नर नियुक्त किया है। शुक्रवार को हरमन मिल्कफूड कंपनी का दौरा करेंगे और तोड़फोड़ व अंदर की स्थिति का जायजा लेंगे। गोदारा की रिपोर्ट के बाद कोर्ट 3 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगा.
एडवोकेट अमर विवेद ने लोकल कमिश्नर नियुक्त किए गए एडवोकेट राजीव गोदारा को उनके दौरे के दौरान सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह को लोकल कमिश्नर के दौरे के दौरान और सुनवाई तक सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। हरमन मिल्कफूड में रचना गर्ग और उनके पति रविंदर गर्ग 70 प्रतिशत शेयरधारक हैं, बाकी सरकारी शेयर हैं। याचिका में पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा पर आरोप लगाया गया है कि विरसा सिंह सिद्धू नामक व्यक्ति ने अपने प्रभाव में आकर 30-40 गुर्गों की मदद से जबरन फैक्ट्री में घुसकर निदेशकों और कर्मचारियों को काम करने से रोक दिया. कोर्ट ने गुरुवार को जारी अंतरिम आदेशों में लिखा है कि विरसा सिंह सिद्धू एक शातिर अपराधी है, जिसे कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर रखा है और जिस पर कई आपराधिक मामलों में जांच चल रही है. पूर्व में नियुक्त स्थानीय आयुक्त व अधिवक्ता अमर विवेद फैक्ट्री का निरीक्षण करने गये थे, लेकिन वहां मौजूद अज्ञात लोगों ने उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पर राजनीतिक रिश्वत व सत्ता के दम पर दबाव बनाया जा रहा है.  संपत्ति पर जबरन कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन जिन पर इसे रोकने की जिम्मेदारी है वे मूकदर्शक बने हुए हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।