गुरु पूजा पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया।

नवांशहर- प्रभु श्री राम जी की असीम कृपा एवं पूज्य महाराज भगत हंस राज जी (पिता जी) के पावन आशीर्वाद से स्थानीय श्री राम शरणम मंदिर लाल चौक नवांशहर में सत्संग एवं प्रार्थना सभा के साथ गुरु पूजा पूर्ण श्रद्धा से मनाई गई। मुख्य सेवादार डॉ. जेडी वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि महाराज जी ने हमें समझाया है कि जब तक हम स्वयं को पूर्णतः गुरु चरणों में समर्पित नहीं कर देते, तब तक हम गुरु कृपा के पात्र नहीं बन सकते।

नवांशहर- प्रभु श्री राम जी की असीम कृपा एवं पूज्य महाराज भगत हंस राज जी (पिता जी) के पावन आशीर्वाद से स्थानीय श्री राम शरणम मंदिर लाल चौक नवांशहर में सत्संग एवं प्रार्थना सभा के साथ गुरु पूजा पूर्ण श्रद्धा से मनाई गई। मुख्य सेवादार डॉ. जेडी वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि महाराज जी ने हमें समझाया है कि जब तक हम स्वयं को पूर्णतः गुरु चरणों में समर्पित नहीं कर देते, तब तक हम गुरु कृपा के पात्र नहीं बन सकते। 
महाराज जी ने कहा है कि हमें एक ही गुरु बनाना चाहिए और सभी को नमस्कार करना चाहिए। इससे जीवन में भटकाव नहीं होगा। महाराज जी ने कहा है कि जब भी कुछ मांगना हो तो अपने गुरु से मांगना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल सच्चे गुरु का मिलना असंभव तो नहीं, पर कठिन अवश्य है। 
उन्होंने कहा कि जिसके दर्शन की हम बार-बार इच्छा करते हैं, जिसके पास बैठने के लिए हम सदैव तरसते हैं और जिसका आशीर्वाद हमारे मन में बना रहता है, वही सच्चे गुरु की पहचान है। सच्चा गुरु अपने शिष्यों से कुछ लेता नहीं, बल्कि उन्हें सदैव कुछ देने की इच्छा रखता है। स्वामी सत्यानंद महाराज जी द्वारा रचित "श्री वाल्मीकि रामायण सार" में महाराज जी ने लिखा है कि "गुरुवर भी सुखदायी होते हैं, पिता और भाई बन जाते हैं"। 
शिष्य अपनी जाति से जाने जाते हैं, वे एक-दूसरे से अलग रहते हैं।" अंत में डॉ. वर्मा ने महाराज जी के इस कथन के साथ पधारे समस्त संगत का धन्यवाद किया कि "सच्चे संत की शरण में बैठ गया तो विश्राम मिल गया, मन ने फल मांगा तो राम नाम जपा तो मिल गया"। इस अवसर पर सत्संग में बड़ी संख्या में संगत उपस्थित थी।