पंजाब में 20 मई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिए ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा की उच्च स्तरीय बैठक

पटियाला 05 मई- कल जालंधर में पंजाब के राज्य ट्रेड यूनियनों, महासंघों और संयुक्त किसान मोर्चा पंजाब की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें 20 मई, 2025 की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को पंजाब में पूरी तरह सफल बनाने की योजना बनाई गई, जिसका समर्थन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने किया है।

पटियाला 05 मई- कल जालंधर में पंजाब के राज्य ट्रेड यूनियनों, महासंघों और संयुक्त किसान मोर्चा पंजाब की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें 20 मई, 2025 की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को पंजाब में पूरी तरह सफल बनाने की योजना बनाई गई, जिसका समर्थन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने किया है। 
इस बैठक में पंजाब एटीके के अध्यक्ष बंत सिंह बराड़ और महासचिव निर्मल सिंह धालीवाल, पंजाब सीटू के महासचिव चंद्र शेखर और अध्यक्ष महान सिंह रोरी, सीटीयू पंजाब के महासचिव नत्था सिंह और अध्यक्ष देव राज वर्मा, एक्टू के अध्यक्ष राजविंदर राणा और आईएफटीयू के अध्यक्ष कुलविंदर सिंह वड़ैच, संयुक्त किसान मोर्चा से जोगिंदर सिंह उगराहां, बलवीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल, बलदेव सिंह निहालगढ़, रमिंदर पटियाला, रुलदू सिंह मानसा और सतनाम सिंह के अलावा जगदीश सिंह चहल, सतीश राणा, जरमनजीत सिंह, गगनदीप सिंह भुल्लर आदि कर्मचारी महासंघों के प्रमुख नेता मौजूद थे।
बैठक में केंद्रीय संगठनों द्वारा 20 मई 2025 को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल के लिए निर्धारित 17 मुद्दों पर चर्चा की गई तथा निर्णय लिया गया कि इस हड़ताल की तैयारी व सफलता में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी तथा विश्वास व्यक्त किया गया कि पंजाब के मेहनतकश व पीड़ित लोग मोदी सरकार की जनविरोधी व कॉर्पोरेट परस्त नीतियों का मुंहतोड़ जवाब देंगे तथा सभी सरकारी, अर्धसरकारी संस्थाएं, लगातार संघर्षरत किसान, खेत मजदूर व मध्यम व लघु व्यापारी वर्ग आदि एकजुट होकर अभूतपूर्व तरीके से पंजाब बंद करवाएंगे। 
नेताओं ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से मोदी सरकार ट्रंप के दबाव में उद्योग, कृषि व खुदरा व्यापार विरोधी समझौते करने के संकेत दे रही है। जिससे कृषि उद्योग व लघु व्यापारी वर्ग बुरी तरह प्रभावित होगा। ये व्यापारी दिवालिया होने पर मजबूर होंगे। इसी तरह मोदी सरकार 4 मजदूर विरोधी श्रम संहिताएं लागू करने जा रही है, जिसका सबसे बड़ा असर ट्रेड यूनियनों व श्रमिकों के सभी प्रकार के अधिकारों के खत्म होने के रूप में पड़ेगा। 
इसी तरह सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का तेजी से निजीकरण, कांटेक्ट/आउटसोर्स कर्मचारियों का स्थायीकरण, न्यूनतम वेतन 26000/- प्रतिमाह, स्कीम वर्करों का नियमितीकरण, बेरोजगारी, महंगाई, खेत मजदूरों के मुद्दे, पुरानी पेंशन की बहाली, नरेगा के तहत 200 दिन काम और शहरों में भी इसे लागू करना आदि अन्य मांगें हड़ताल के मुख्य मुद्दे हैं। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 16 मई को किसान और ट्रेड यूनियन नेता पंजाब के सभी जिलों और महत्वपूर्ण केंद्रों में संयुक्त बैठकें करके तैयारियों को अंतिम रूप देंगे।