
पाक्रिंग फीस में बढोतरी का प्रस्ताव सिरफ चंडीगढ़ की मेयर साहिबा और बीजेपी के पार्षदों के सहमति से ही पास हुआ है
चंडीगढ़- पार्किंग फीस में बढ़ौतरी का प्रस्ताव सिर्फ चंडीगढ़ की मेयर साहिबा और बी जे पी के पार्षदों की सहमति से ही पास हुआ है मेयर साहिबा ने जब अपनी फोटो चीफ सेकेट्री को मेमोरेंडम देते हुए अखबारों में छपवाई थी और कहा था कि वोह पार्किंग के हालत सुधारने को मेमोरेंडम देकर आई है। मैने तो तभी कह दिया था कि यह हमारी फोटो जीवी मेयर का प्रॉपर्टी टैक्स को बढ़ाने के बाद अगला कदम पार्किंग को बढ़ाने में है। पुत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं
चंडीगढ़- पार्किंग फीस में बढ़ौतरी का प्रस्ताव सिर्फ चंडीगढ़ की मेयर साहिबा और बी जे पी के पार्षदों की सहमति से ही पास हुआ है मेयर साहिबा ने जब अपनी फोटो चीफ सेकेट्री को मेमोरेंडम देते हुए अखबारों में छपवाई थी और कहा था कि वोह पार्किंग के हालत सुधारने को मेमोरेंडम देकर आई है। मैने तो तभी कह दिया था कि यह हमारी फोटो जीवी मेयर का प्रॉपर्टी टैक्स को बढ़ाने के बाद अगला कदम पार्किंग को बढ़ाने में है।
पुत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं
चंडीगढ़ जैसे शहर जिसको नौकरी पेशा वालों का शहर माना जाता है इसमें पहले से ही जनता से बहुत भारी भरकम पार्किंग फीस वसूली जा रही है इसमें और बढ़ोतरी का मतलब जनता की कमाई पर लूट है ।
मेरी तरफ से निगम कमिश्नर साहिब से यह विनम्र निवेदन है कि सभी बाजारों में पार्किंग स्थलों का प्रबंधन संबंधित मार्केट वेलफेयर एसोसिएशनों द्वारा किया जाए, जैसा कि सेक्टर 22 और सेक्टर 19 में सफलता पूर्वक किया जा रहा है। इन एसोसिएशनों ने दिखाया है कि कैसे बिना उत्पीड़न या न्यूनतम शुल्क लिए पार्किंग का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया जा सकता है, जिससे दुकानदारों और व्यवसाय मालिकों को परेशानी मुक्त अनुभव मिल सके। मुफ्त पार्किंग या नाममात्र पर्यवेक्षित पार्किंग से ग्राहकों की आवाजाही बढ़ती है, जिससे स्थानीय व्यवसायों को सीधा लाभ होता है और इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलता है।
नगर निगम पिछले एक दशक में पार्किंग से कोई खास राजस्व अर्जित करने में विफल रहा है, और इसके बजाय, पार्किंग प्रबंधन शोषण और सार्वजनिक असुविधा का पर्याय बन गया है। इसका समाधान इस सेवा को बाजार समितियों को विकेंद्रीकृत करने में निहित है, जो अधिक जवाबदेह हैं, जमीनी हकीकत से बेहतर ढंग से वाकिफ हैं, और सीधे तौर पर अपने बाजारों की भलाई में निवेशित हैं।
एक समान नीति लागू करना जो मार्केट वेलफेयर एसोसिएशनों को उचित पारदर्शिता और देखरेख के साथ पार्किंग का प्रबंधन करने का अधिकार दे, सार्वजनिक विश्वास को बहाल कर सकता है, बाजार की पहुंच में सुधार कर सकता है और अमित्र प्रथाओं को समाप्त कर सकता है।
