315वें सरहिंद फतेह दिवस पर एक विशाल फतेह मार्च रकबा भवन से शुरू होकर चप्पड़चिड़ी होते हुए 13 मई को सरहिंद पहुंचेगा: के.के. बावा.

एसएएस नगर, 2 मई - 315वें सरहिंद दिवस के ऐतिहासिक दिन 13 मई को 15वां फतेह मार्च श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया तथा निहंग सिंह बाबा बलविंदर सिंह के नेतृत्व में सुबह 8 बजे बाबा बंदा सिंह बहादुर भवन रकबा से हाथी-घोड़ों समेत सैकड़ों वाहनों के काफिले के साथ शुरू होगा, जो दो दर्जन से अधिक स्थानों पर रुकते हुए दोपहर को चप्पड़चिड़ी पहुंचेगा।

एसएएस नगर, 2 मई - 315वें सरहिंद दिवस के ऐतिहासिक दिन 13 मई को 15वां फतेह मार्च श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया तथा निहंग सिंह बाबा बलविंदर सिंह के नेतृत्व में सुबह 8 बजे बाबा बंदा सिंह बहादुर भवन रकबा से हाथी-घोड़ों समेत सैकड़ों वाहनों के काफिले के साथ शुरू होगा, जो दो दर्जन से अधिक स्थानों पर रुकते हुए दोपहर को चप्पड़चिड़ी पहुंचेगा।
इस संबंध में जानकारी देते हुए बाबा बंदा सिंह बहादुर इंटरनेशनल फाउंडेशन के अध्यक्ष किरण कुमार बावा, चंडीगढ़ फाउंडेशन के अध्यक्ष हरिंदर सिंह हंस एडवोकेट, संरक्षक डॉ. जगतार सिंह धीमान, हरियाणा फाउंडेशन के अध्यक्ष उमराव सिंह छीना, अमेरिका फाउंडेशन के महासचिव दलजीत सिंह, मोहाली नगर निगम के उप महापौर कुलजीत सिंह बेदी, समाजसेवी जसविंदर सिंह (जस्सी) और पुष्पिंदर शर्मा ने यहां पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि चप्पड़चिड़ी में ढाडी, कवि और इतिहासकार अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
उन्होंने बताया कि फतेह का झंडा फहराने के लिए लंगर खाने के बाद यह मार्च दोपहर तीन बजे सरहिंद के लिए रवाना होगा। ध्वजारोहण समारोह शाम 5 बजे होगा। इसके बाद फतेहगढ़ गुरुद्वारा साहिब में अरदास के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।
इस अवसर पर श्री बावा ने केंद्र सरकार से मांग की कि 3 सितंबर 1708 को दशम पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ ऐतिहासिक मिलन के बाद युद्ध लड़ते हुए बाबा बंदा सिंह बहादुर जिस मार्ग से सरहिंद चप्पर चिड़ी पहुंचे थे, उसे पुनः स्थापित किया जाना चाहिए। भारत सरकार उस सड़क को चिन्हित कर उसका नाम बाबा बंदा सिंह बहादुर मार्ग रखे तथा उन्होंने पंजाब सरकार से लुधियाना के कृषि विश्वविद्यालय का नाम बदलकर बाबा बंदा सिंह बहादुर कृषि विश्वविद्यालय रखने की मांग की तथा 13 मई को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की भी अपील की।
उन्होंने कहा कि इस दिन हर किसान को अपने घर की छत या गेट पर देसी घी का दीया जलाना चाहिए, क्योंकि वह बाबा बंदा सिंह बहादुर ही थे जिन्होंने आज के किसानों और किरायेदारों को जमीन का मालिक बनाया और श्री गुरु नानक देव जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के नाम पर सिक्के और मोहरें जारी कीं।