
भारतीय ट्रेड यूनियन महासंघ मजदूर दिवस पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित करेगा।
नवांशहर, 26 अप्रैल - आशा वर्कर्स 1 मई को विश्वकर्मा मंदिर, नवांशहर में आईएफटीयू द्वारा मनाए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस में भाग लेंगी। यह निर्णय नवांशहर में आयोजित आशा वर्कर एवं फैसिलिटेटर यूनियन, जिला शहीद भगत सिंह नगर की बैठक में लिया गया।
नवांशहर, 26 अप्रैल - आशा वर्कर्स 1 मई को विश्वकर्मा मंदिर, नवांशहर में आईएफटीयू द्वारा मनाए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस में भाग लेंगी। यह निर्णय नवांशहर में आयोजित आशा वर्कर एवं फैसिलिटेटर यूनियन, जिला शहीद भगत सिंह नगर की बैठक में लिया गया।
इस बैठक को संबोधित करते हुए यूनियन की जिला अध्यक्ष शकुंतला सरोय, जिला नेता गीता राजबिंदर कौर कट, अनीता थोपिया व हरबंस कौर हियाला ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मजदूरों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक दिन है। वर्ष 1886 में अमेरिका में मजदूरों ने 8 घंटे के कार्यदिवस और अन्य मांगों को लेकर खूनी संघर्ष किया था।
अमेरिका के शिकागो शहर में हड़ताली और प्रदर्शनकारी श्रमिकों के विरुद्ध पुलिस ने गोलीबारी की तथा अन्य हिंसा का प्रयोग किया। सफेद झंडा सड़कों पर बहे मजदूरों के खून से सना हुआ था। मजदूरों के इस संघर्ष के सामने अमेरिका की पूंजीवाद समर्थक सरकार को घुटने टेकने पड़े और मजदूरों की मांगें माननी पड़ीं। जिसके बाद दुनिया भर के श्रमिक 1 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस' के रूप में मनाने लगे।
नेताओं ने कहा कि आज मजदूर वर्ग को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मोदी सरकार ने पहले मजदूर समर्थक श्रम कानून को निरस्त कर दिया है और चार मजदूर विरोधी व पूंजीवाद समर्थक श्रम संहिताएं लाई हैं, जो मजदूर वर्ग पर मोदी सरकार का बहुत बड़ा हमला है।
देश में कार्यस्थल पर असुरक्षा की स्थिति हर दिन श्रमिकों की जान ले रही है। नियोक्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकारें नियोक्ताओं की पीठ थपथपा रही हैं। आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से त्रस्त है। शासक वर्गीय पार्टियों की सरकारें स्वयं लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को कुचल रही हैं। उन्होंने सभी स्कीम वर्करों को नियमित करने तथा कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की।
