
पंजाब बजट: 'रंगला पंजाब' या 'कंगला पंजाब' की ओर एक और कदम?
होशियारपुर- पंजाब सरकार ने अपने नए बजट को 'रंगला पंजाब' बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। लेकिन जब 31% वित्तीय ज़रूरतें कर्ज के ज़रिए पूरी की जा रही हों, राज्य का कर्ज 3,17,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा हो गया हो और सिर्फ़ ब्याज 25,000 करोड़ रुपये हो, तो क्या इस बजट को वाकई प्रगतिशील कहा जा सकता है? जाने-माने समाजसेवी और पत्रकार संजीव कुमार ने पंजाब के बढ़ते वित्तीय संकट पर चिंता जताई है।
होशियारपुर- पंजाब सरकार ने अपने नए बजट को 'रंगला पंजाब' बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। लेकिन जब 31% वित्तीय ज़रूरतें कर्ज के ज़रिए पूरी की जा रही हों, राज्य का कर्ज 3,17,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा हो गया हो और सिर्फ़ ब्याज 25,000 करोड़ रुपये हो, तो क्या इस बजट को वाकई प्रगतिशील कहा जा सकता है? जाने-माने समाजसेवी और पत्रकार संजीव कुमार ने पंजाब के बढ़ते वित्तीय संकट पर चिंता जताई है।
वे पूछते हैं कि क्या यह बजट पंजाब की मदद कर रहा है या इसे 'कंगला पंजाब' बनाने की दिशा में और आगे बढ़ा रहा है? वे कहते हैं कि चाहे कोई भी सरकार हो, सभी ने पंजाब की वित्तीय स्थिति को खराब करने में अपना योगदान दिया है। क्या कोई राजनीतिक दल यह दावा कर सकता है कि पंजाब को 'सबसे नीचे' ले जाने में उनकी कोई भूमिका नहीं है?
उनका कहना है कि बेहिसाब खर्च, खोखले वादे और अप्रभावी वित्तीय योजनाओं के कारण हर सरकार के हाथों पंजाब की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जब बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने पर खर्च हो जाता है तो लोगों की भलाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे का विकास कैसे हो सकता है?
अगर यही स्थिति बनी रही तो पंजाब की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो जाएगी। संजीव कुमार कहते हैं, "क्या कर्ज का यह कहर पंजाब को अपने ही खून से लाल नहीं कर रहा है?" उनका कहना है कि सरकार को बजट में बड़ी-बड़ी बातें करने की बजाय कर्ज पर निर्भरता कम करने और वास्तविक आर्थिक सुधार लाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए, अन्यथा स्थिति हाथ से निकल जाएगी।
