23 मार्च के शहीदों की याद में कार्यकर्ताओं एवं युवा संगठनों द्वारा शहीदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया

लुधियाना- 23 मार्च 2025- आज कपड़ा-हुडीज मजदूर यूनियन, फैक्ट्री वर्कर्स यूनियन एवं नौजवान भारत सभा द्वारा संयुक्त रूप से महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की 94वीं शहादत वर्षगांठ मनाई गई। लुधियाना के ताजपुर रोड स्थित ईडब्ल्यूएस कॉलोनी स्थित मजदूर लाइब्रेरी में 'शहीदी दिवस समारोह' का आयोजन किया गया।

लुधियाना- 23 मार्च 2025- आज कपड़ा-हुडीज मजदूर यूनियन, फैक्ट्री वर्कर्स यूनियन एवं नौजवान भारत सभा द्वारा संयुक्त रूप से महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की 94वीं शहादत वर्षगांठ मनाई गई। लुधियाना के ताजपुर रोड स्थित ईडब्ल्यूएस कॉलोनी स्थित मजदूर लाइब्रेरी में 'शहीदी दिवस समारोह' का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखकर की गई। 
नौजवान भारत सभा की कार्यकर्ता दिशा, मौसम एवं कोमल ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए तथा इस दौरान 'लेकिन जाग गया' नाटक प्रस्तुत किया गया। मंच का संचालन नौजवान भारत सभा की नेता रविंदर कौर ने किया। फैक्ट्री वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष लखविंदर, कपड़ा-हुडीज मजदूर यूनियन के अध्यक्ष जगदीश सिंह एवं नौजवान भारत सभा की नेता टीना ने वक्ताओं के रूप में लोगों को संबोधित किया। 
वक्ताओं ने कहा कि जिस शोषण और दोहन से मुक्त समाज के लिए शहीद भगत सिंह और उनके साथियों ने जीवन भर संघर्ष किया और कुर्बानियां दीं, वह अभी तक नहीं बन पाया है। उनकी लड़ाई केवल लूटने वाले ब्रिटिश शासकों के खिलाफ नहीं थी, बल्कि सभी प्रकार के लुटेरों के खिलाफ थी। भगत सिंह ने कहा था कि जब तक मनुष्य द्वारा मनुष्य का शोषण समाप्त नहीं हो जाता, यह लड़ाई जारी रहेगी। 
आज गोरे शासकों की जगह काले शासक बैठकर लूटपाट कर रहे हैं। बल्कि धर्म के नाम पर साजिश के तहत लोगों को लड़ाया जा रहा है। भारत की मोदी सरकार, पंजाब की आप सरकार और विभिन्न राज्य सरकारें उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण की नीतियों को तीखे तरीके से लागू कर रही हैं। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव किए गए हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, खाने-पीने, पहनने आदि के संबंध में लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर बड़े हमले हो रहे हैं। 
वक्ताओं ने कहा कि आज क्रांतिकारी शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि क्रांतिकारी शहीदों के जीवन और विचारों को व्यापक जनता तक पहुंचाया जाए। लोगों को वर्तमान समय की चुनौतियों से अवगत कराया जाए और धर्मों और जातियों के मतभेदों से ऊपर उठकर अपनी मांगों के इर्द-गिर्द संगठित किया जाए। कार्यक्रम में क्रांतिकारी साहित्य की प्रदर्शनी भी विशेष रूप से लगाई गई थी। लोगों ने पूरे कार्यक्रम को उत्साह के साथ देखा। कार्यक्रम का समापन क्रांतिकारी नारों के साथ हुआ।