मशीन इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों से डरने की बजाय जागरूक होने की जरूरत : जफर

पटियाला, 15 फरवरी- भाषा विभाग, पंजाब द्वारा ‘शब्द तकनीक और मानवता का भविष्य’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन भाषा भवन, पटियाला के सेमिनार हॉल में संपन्न हो गया। जिसके दौरान विभिन्न सत्रों के दौरान बहुत गंभीर चिंतन किया गया। सम्मेलन के अंतिम दिन निदेशक भाषा विभाग स. जसवंत सिंह जफर ने अपने धन्यवाद प्रस्ताव में कहा कि हमें मशीन इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों को स्वीकार करना चाहिए और इसके प्रति जागरूक होने के लिए खुद को अपडेट करना चाहिए, यानी इसकी बारीकियों को समझकर आगे बढ़ना चाहिए।

पटियाला, 15 फरवरी- भाषा विभाग, पंजाब द्वारा ‘शब्द तकनीक और मानवता का भविष्य’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन भाषा भवन, पटियाला के सेमिनार हॉल में संपन्न हो गया। जिसके दौरान विभिन्न सत्रों के दौरान बहुत गंभीर चिंतन किया गया। सम्मेलन के अंतिम दिन निदेशक भाषा विभाग स. जसवंत सिंह जफर ने अपने धन्यवाद प्रस्ताव में कहा कि हमें मशीन इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों को स्वीकार करना चाहिए और इसके प्रति जागरूक होने के लिए खुद को अपडेट करना चाहिए, यानी इसकी बारीकियों को समझकर आगे बढ़ना चाहिए। 
सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन गुरप्रीत मानसा ने मशीन इंटेलिजेंस के टूल के माध्यम से कविता बनाने का उदाहरण देकर रचनात्मक प्रक्रिया के बारे में अपने अनुभव दर्शकों के साथ साझा किए। बरिंदर कौर ने कहा कि मशीन इंटेलिजेंस इंसानों से कम संवेदनशील है। इसलिए यह इंसान द्वारा बनाई गई रचना का मुकाबला नहीं कर सकती। हमें मशीनों के साथ मशीन नहीं बनना चाहिए और अपनी रचनात्मक प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए। 
डॉ. मोहन त्यागी ने कहा कि एआईई की अपनी सीमाएं हैं, यह किसी भी क्षेत्र की संस्कृति की बारीकियों की पूरी तस्वीर पेश नहीं कर सकता। यह मनुष्य का दास है और मनुष्य की मदद कर सकता है। डॉ. मनमोहन ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास के साथ तकनीक में भी हमेशा बदलाव होते रहते हैं। यानी तकनीक का विकास होता रहता है। इसके विकास का विरोध करने की बजाय हमें इसका उपयोग करना चाहिए। और इसके बराबर बनना चाहिए। इस सत्र का संचालन डॉ. अमरजीत सिंह ने किया। 
दूसरे सत्र के दौरान हीरा सिंह, एस. जसविंदर सिंह और कुलविंदर सिंह ने ‘भाषा उद्योग में मशीन इंटेलिजेंस का महत्व’ विषय पर चर्चा की। ‘डिजिटल युग में भाषा और पहचान के मुद्दे’ विषय पर बोलते हुए डॉ. इमरतपाल सिंह ने कहा कि हमारी पहचान जाति, धर्म और वर्ग पर आधारित है। 
जो शाश्वत है और यह हमें कभी नहीं छोड़ती। डॉ. दविंदर सिंह, संदीप शर्मा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। विदाई सत्र के अंत में निदेशक भाषा एस. जसवंत सिंह जफर ने श्रोताओं के साथ-साथ वक्ताओं, मॉडरेटर और विभाग की पूरी आयोजन टीम का धन्यवाद किया।