
*प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री एक्सीलेंस अवार्ड की शुरुआत*
ऊना, 15 जून- शिक्षा क्षेत्र में एक नई पहल करते हुए प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री फाउंडेशन ने प्रोफेसर सिम्मी के नाम पर एक्सीलेंस अवार्ड की शुरुआत की है। इसके पहले संस्करण में शिरकत करते हुए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने रविवार को हरोली में मेधावी बच्चों को सम्मानित किया।
ऊना, 15 जून- शिक्षा क्षेत्र में एक नई पहल करते हुए प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री फाउंडेशन ने प्रोफेसर सिम्मी के नाम पर एक्सीलेंस अवार्ड की शुरुआत की है। इसके पहले संस्करण में शिरकत करते हुए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने रविवार को हरोली में मेधावी बच्चों को सम्मानित किया।
बता दें, वैश्विक शैक्षणिक क्षितिज पर गहरी छाप छोड़ने वाली
प्रोफेसर डॉ. सिम्मी अग्निहोत्री न सिर्फ एक विदुषी शिक्षाविद् थीं, बल्कि एक जीवंत विचार, एक प्रेरक व्यक्तित्व और एक संवेदनशील समाजशास्त्री भी थीं, जिनकी विद्वता, दूरदृष्टि और संवेदना ने हिमाचल से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक प्रभाव छोड़ा।
मंडी में वर्ष 1968 में जन्मीं सिम्मी जी बाल्यकाल से ही जिज्ञासु, अध्ययनशील और सहज स्वभाव की थीं। बचपन की चुलबुलाहट के साथ उनमें एक असाधारण बौद्धिक गहराई भी थी। उन्होंने कम आयु में ही पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और 1998 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में बतौर सहायक प्रोफेसर शिक्षण कार्य आरंभ किया।
उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था, कक्षा, मंच, साहित्य, कला और समाज सेवा, हर क्षेत्र में उनकी सक्रिय उपस्थिति रही। खेल, नाटक, संगीत और कविता में उनकी गहरी अभिरुचि थी। छात्रों से उनका आत्मीय जुड़ाव और मार्गदर्शन उन्हें बेहद प्रिय बनाता था।
एचपीयू में लोक प्रशासन विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में उन्होंने न केवल शिक्षण में उत्कृष्ट योगदान दिया, बल्कि 25 से अधिक विद्यार्थियों को पीएचडी और एम.फिल. जैसे शोध डिग्रियों के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान किया। उनकी शोध दृष्टि व्यापक और सामाजिक सरोकारों से युक्त रही। जनजातीय सशक्तिकरण, लैंगिक समानता, मानव संसाधन विकास, स्थानीय शासन और ग्रामीण रोजगार जैसे विषयों पर उन्होंने गहन और मौलिक कार्य किया।
उनके नाम पर 14 अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र, 13 अंतरराष्ट्रीय प्रस्तुतियाँ, 7 राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी, 2 शोधपरक पुस्तकें और 2 शैक्षणिक ग्रंथ हैं। उनके शोध जापान, टर्की, पेरिस, स्पेन और पुर्तगाल जैसे वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत हुए और विशेष रूप से पांगी तथा पंगवाला जनजातियों पर उनके शोध कार्य को नीति-निर्माण के क्षेत्र में भी सराहना मिली।
वर्ष 2023 में उन्हें इंडोनेशिया की ट्रांसफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी फाउंडेशन द्वारा इंटरनेशनल बेस्ट टीचर अवार्ड और वियतनाम स्थित इंटरनेशनल अचीवर्स अवार्ड्स संस्था द्वारा मोस्ट रिमार्केबल एजुकेटर एंड इंस्पायरिंग ग्लोबल रिसर्चर अवार्ड से सम्मानित किया गया। निधन के उपरांत भी इंडोनेशिया की संस्था ने उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप मरणोपरांत सर्टिफिकेट ऑफ रिकग्निशन प्रदान किया।
9 फरवरी 2024 को उनका देहावसान हुआ, पर वे 56 साल की जीवन यात्रा में प्रोफेसर सिम्मी सृजन, सेवा और संस्कारों की ऐसी उजली परिपाटी स्थापित कर गई हैं, जो पीढ़ियों का मार्गदर्शन करती रहेंगी।
