पूर्व छात्र श्री योगेश कुमार ने साझा किए एयरोस्पेस और एयरोनॉटिकल एलसीए पर साँझा किये अनुभव

चंडीगढ़, 07 अप्रैल 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने आज 07 अप्रैल 2025 को एक बेहद प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक गेस्ट लेक्चर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में 1968 बैच के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र, श्री योगेश कुमार ने शिरकत की। वर्तमान में श्री कुमार सीएसआईआर-एनएएल में वरिष्ठ सलाहकार और स्पेशलिस्ट डिज़ाइनर के रूप में कार्यरत हैं।

चंडीगढ़, 07 अप्रैल 2025: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), चंडीगढ़ के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने आज 07 अप्रैल 2025 को एक बेहद प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक गेस्ट लेक्चर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में 1968 बैच के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र, श्री योगेश कुमार ने शिरकत की। वर्तमान में श्री कुमार सीएसआईआर-एनएएल में वरिष्ठ सलाहकार और स्पेशलिस्ट डिज़ाइनर के रूप में कार्यरत हैं।
इस व्याख्यान में उन्होंने “फ्यूचर टेक्नोलॉजीस इन एयरोनॉटिकल एलसीए एंड बियॉन्ड” विषय पर अपने अनुभव साझा किए और एयरक्राफ्ट एवं उसके सिस्टम के क्षेत्र में अपने दशकों के योगदान और गहराई से जुड़ी जानकारियाँ छात्रों के साथ बाँटी। उनके बोलने के अंदाज़ में जहां तकनीकी गहराई थी, वहीं अपने अनुभवों से जुड़ी कहानियों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में कई विशिष्ट अतिथि और विशेषज्ञों की उपस्थिति रही, जिनमें, प्रो. एस.सी. शर्मा (पूर्व हेड, एईडी), प्रो. राकेश कुमार (हेड, एईडी), इंजिनियर मनीष गुप्ता (अध्यक्ष, पिकोसा), डॉ. दीपक लेखी (एडिशनल रीजनल डायरेक्टर, आरसीएमए, चंडीगढ़), श्री विवेक कलोत्रा (रीजनल डायरेक्टर, आरसीएमए, चंडीगढ़), डॉ. सुभाष चंद्रा (एडिशनल डायरेक्टर, दीजीआरई, डीआरडीओ), एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के मेंबर्स, फैकल्टी और छात्र उपस्थित थे।
अपने व्याख्यान में श्री कुमार ने एलसीए (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) की तकनीकी श्रेष्ठताओं पर प्रकाश डाला, जिसे उन्होंने "एक तकनीकी चमत्कार" बताया। उन्होंने बताया कि यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी आर एन डी पहलों में से एक है, जिसमें डिजीटल फ्लाई-बाई-वायर सिस्टम, फ्लैट रेटेड इंजिन्स, एडवांस्ड सेंसर्स, मल्टी-मोड राडार जैसी अत्याधुनिक प्रणालियाँ शामिल हैं।
उन्होंने 'तेजस' प्रोग्राम के अंतर्गत भारत सरकार के सहयोग से कार्य कर रही विभिन्न टीमों के योगदान को भी साँझा किया और आने वाले वर्षों में एयरोस्पेस तकनीकों में होने वाले बदलावों की झलक दी। श्री कुमार ने इंटीग्रेटेड पॉवर प्लांट सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, 5 जनरेशन एमसीए (मल्टी-मिशन कॉम्बैट एयरक्राफ्ट), एवियोनिक्स इंटीग्रेशन, इंजन हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम और भविष्य की 6th जनरेशन फाइटर टेक्नोलॉजी जैसे विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने छात्रों को इनोवेशन की दिशा में आगे बढ़ने और हर अवसर को सक्रिय रूप से अपनाने के लिए भी प्रेरित किया।
एच ए एल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई अहम परियोजनाओं का नेतृत्व किया, जिनमें एलसीए, इंटरनेशनल जेट ट्रेनर (आई जे टी), और जैगुआर विमान का एवियोनिक्स अपग्रेड शामिल हैं। साथ ही वे एच ए एल लखनऊ डिवीजन में चीफ ऑफ़ डिज़ाइन भी रहे। उन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स के एक्सेक्यूशन पर दो पुस्तकें भी लिखी हैं।
अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा गया है, नैशनल एयरोनॉटिकल प्राइज (2000), नेशनल एक्लमेशन प्राइज 1988, रक्षा मंत्री अवार्ड फॉर एक्सीलेंस 2003-04, साइंटिस्ट ऑफ़ दी ईयर 2001, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड 2006, एलमनस अवार्ड ऑफ़ एक्सीलेंस 2018, और इंटरनेशनल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट अवार्ड 2005, इसके अतिरिक्त, उन्हें जनवरी 2001 में तत्कालीन वायु सेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल ए.वाई. टिपनिस द्वारा नैशनल एयरोनॉटिकल प्राइज से भी नवाज़ा गया।
सत्र के समापन पर, प्रो. एस.सी. शर्मा और प्रो. राकेश कुमार ने श्री योगेश कुमार को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका हार्दिक अभिनंदन किया। डॉ. दीपक लेखी ने  धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम सभी प्रतिभागियों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि प्रेरणादायक भी रहा, और निश्चित रूप से छात्रों के भीतर एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रति उत्साह और समर्पण को और प्रबल कर गया।