
विशाल कवि दरबार और लोकार्पण समागम सम्पन्न
फगवाड़ा - नवीं चेतना पंजाबी लेखक मंच और अदबी सागर विरकां द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती को समर्पित एक भव्य कवि दरबार और पुस्तक लोकअर्पण समारोह का आयोजन डॉ. बीआर अंबेडकर भवन अर्बन एस्टेट, फगवाड़ा में किया गया। जिसकी अध्यक्षता सर्वश्री संधू वरियान्वी प्रोफेसर, इकबाल घारू, रेशम चित्रकार, शाम सरगुंडी और बलदेव कोमल ने की।
फगवाड़ा - नवीं चेतना पंजाबी लेखक मंच और अदबी सागर विरकां द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती को समर्पित एक भव्य कवि दरबार और पुस्तक लोकअर्पण समारोह का आयोजन डॉ. बीआर अंबेडकर भवन अर्बन एस्टेट, फगवाड़ा में किया गया। जिसकी अध्यक्षता सर्वश्री संधू वरियान्वी प्रोफेसर, इकबाल घारू, रेशम चित्रकार, शाम सरगुंडी और बलदेव कोमल ने की।
अम्बेडकरी मिशन के प्रबुद्ध साहित्यकार श्री सोहन सहजल ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर की विचारधारा पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि डॉ. साहब ने अपना पूरा जीवन भारत के दबे-कुचले लोगों की मानवता के कल्याण के लिए बिताया। प्रबुद्ध विद्वान प्राचार्य इंद्रजीत सिंह "वासु" द्वारा लिखित पवन हरचंदपुरी की महान कविता "जन्म-ए-खालसा" की बहुआयामी अध्ययन पुस्तक जनता के सामने प्रस्तुत की गई। श्री जगदीश राणा, रविंदर चोट, पवन हरचंदपुरी, डॉ. जागीर सिंह 'नूर' आदि ने इस पुस्तक पर अपने विचार प्रस्तुत किये और कहा कि इन प्रिंसिपल 'वासु' जी ने खालसा सिद्धांतों के आधार पर सात महीने तक अथक परिश्रम किया है। ई-खालसा महा-कवि ने सार्थक मूल्यांकन किया है। सर्वश्री इकबाल घारू, गुलजार शॉंकी, देस राज बाली, जसविंदर सिंह, सतपाल साहलों, गुरमुख सिंह, जस्सी, अमनदीप दर्दी, पवन भामियां, अमरीक हमराज, हरदयाल होशियारपुरी, कमलजीत कंवर, दिलजीत मेहमी, सीरत सिखयर्थी, मनोज फगवाडवी, गुरदीप सैनी, शाम सरगुंडी, मंजीत सिंह, सोहन सहजल, भिंडर पटवारी, इंद्रपाल सिंह आदि कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। प्रोफेसर संधू वरियान्वी ने जहां उपस्थित कवियों और लेखकों को धन्यवाद दिया, वहीं उन्होंने विशेष रूप से नवीं चेतना पंजाबी लेखक मंच के अध्यक्ष मक्खन लुहार और अन्य लोगों को धन्यवाद दिया। जिन्होंने विशेष रूप से आर्थिक सहयोग भेजकर इस आयोजन की सफलता में योगदान दिया। मंच का संचालन श्री जगदीश राणा महासचिव ने बखूबी किया।
