
हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) कार्यालयों की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है।
चंडीगढ़, 21 जुलाई - हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक मामले में राज्य कार्यालय, कुरुक्षेत्र और क्षेत्रीय प्रशासक, पंचकूला के बीच हुई देरी और अस्पष्ट प्रक्रिया को लेकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है। आयोग के एक प्रवक्ता ने बताया कि आयोग ने अपनी जाँच में पाया कि शिकायतकर्ता द्वारा 9 जून, 2023 को संपत्ति हस्तांतरण के लिए दिए गए पंजीकरण को लगभग 10 महीनों से तकनीकी और प्रशासनिक आधार पर बार-बार खारिज किया जा रहा है।
चंडीगढ़, 21 जुलाई - हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक मामले में राज्य कार्यालय, कुरुक्षेत्र और क्षेत्रीय प्रशासक, पंचकूला के बीच हुई देरी और अस्पष्ट प्रक्रिया को लेकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है। आयोग के एक प्रवक्ता ने बताया कि आयोग ने अपनी जाँच में पाया कि शिकायतकर्ता द्वारा 9 जून, 2023 को संपत्ति हस्तांतरण के लिए दिए गए पंजीकरण को लगभग 10 महीनों से तकनीकी और प्रशासनिक आधार पर बार-बार खारिज किया जा रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि क्षेत्रीय प्रशासक कार्यालय द्वारा बार-बार खारिज करना और देरी करना पूरी तरह से अनुचित है और शिकायतकर्ता को सीधे तौर पर परेशान करने के समान है। आयोग ने इस मामले में 9 जून 2023 से 5 अप्रैल 2024 तक पद पर रहे सभी क्षेत्रीय प्रशासकों के खिलाफ अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।
हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ई) के तहत, आयोग ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को यह राशि स्वयं वहन करनी होगी और फिर संबंधित अधिकारियों से इसकी वसूली करनी होगी।
आयोग के अवर सचिव श्री सूबे खान द्वारा 26 जून 2025 को संबंधित कार्यालयों का निरीक्षण किया गया और 4 जुलाई 2025 को आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। निरीक्षण के दौरान, यह सामने आया कि पे बुक, जो डाक प्राप्ति का रिकॉर्ड है, में जिम्मेदार अधिकारी का नाम स्पष्ट नहीं था।
आयोग ने अंतिम आदेश में, एचएसवीपी को निर्देश दिया कि पीआईए के सभी संबंधित कार्यालयों को पीआईए की रसीद रजिस्टर और डिस्पैच रजिस्टर में जिम्मेदार अधिकारियों का पूरा नाम और पद अनिवार्य रूप से दर्ज करने और डाक की मुहर लगाने के निर्देश दिए हैं ताकि भविष्य में किसी भी जवाबदेही से बचा न जा सके।
