नशा और तनावमुक्त जीवन जीने के लिए ओशो ध्यान विधियों को अपनाना और नियमित रूप से मेडिटेशन करना आवश्यक है — स्वामी आनंद सत्यार्थी

माहिलपुर, 21 जुलाई- स्वामी आनंद सत्यार्थी, संचालक ओशो आश्रम, गांव बारापुर ने बातचीत करते हुए बताया कि पिछले अनुभवों से यह सिद्ध हो चुका है कि हाई ब्लड प्रेशर, किडनी फेल होना, मानसिक विकार, बेचैनी रहना, अनजाना डर, कैंसर, शुगर, लकवा, दमा, पेट में अल्सर, नींद न आना और नशे की इच्छा पैदा होना—इन सभी बीमारियों का मुख्य कारण मानसिक तनाव है।

माहिलपुर, 21 जुलाई- स्वामी आनंद सत्यार्थी, संचालक ओशो आश्रम, गांव बारापुर ने बातचीत करते हुए बताया कि पिछले अनुभवों से यह सिद्ध हो चुका है कि हाई ब्लड प्रेशर, किडनी फेल होना, मानसिक विकार, बेचैनी रहना, अनजाना डर, कैंसर, शुगर, लकवा, दमा, पेट में अल्सर, नींद न आना और नशे की इच्छा पैदा होना—इन सभी बीमारियों का मुख्य कारण मानसिक तनाव है। इन बीमारियों से बचने के लिए ओशो ध्यान विधियों को अपनाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि डाइनामिक, कुंडलिनी और नाद ब्रह्म मेडिटेशन को रोज़ाना की ज़िंदगी का हिस्सा बनाकर इन रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि ओशो ध्यान विधियाँ सीखने के लिए ओशो ध्यान शिविरों में जाया जा सकता है या गूगल पर भी इन्हें सर्च किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रजनीश ओशो कहते हैं कि ‘होश’ ही एकमात्र प्राकृतिक नियम है, यानी उठते-बैठते, चलते-फिरते और अन्य रोज़मर्रा के कार्य करते हुए हमें पूर्ण जागरूकता (होशपूर्वक) के साथ जीना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आजकल समाज में नशे का चलन लगातार बढ़ रहा है। सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी अब इसकी आदी होती जा रही हैं। सरकारें भले ही नशा रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन आम लोगों की भरपूर भागीदारी न मिलने के कारण उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल पा रही। उन्होंने कहा कि नशा छोड़ने के लिए मेडिटेशन एक जरूरी और अहम विकल्प है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को नशों की रोकथाम के लिए मेडिटेशन शिविर लगाने चाहिए। मेडिटेशन चिंता और तनाव को दूर करने में मदद करता है। इसके साथ-साथ, मेडिटेशन का नियमित अभ्यास हमारे विचारों से विकारों को हटाकर एक सकारात्मक सोच उत्पन्न करता है।
उन्होंने पंजाब सरकार से यह अपील की कि वह नशे और अन्य सामाजिक बुराइयों से पंजाबवासियों को बचाने के लिए ओशो की ध्यान विधियों और मेडिटेशन के ध्यान शिविर मुफ्त में आयोजित करवाए, इसके लिए वे स्वयं पूरी तरह से तैयार हैं। पंजाब सरकार उनके इस अनुभव का लाभ उठा सकती है।