
खेती को मजबूत बनाने के लिए नई खोजें बेहद अहम – हरचंद सिंह बरसट
मोहाली, 21 जून, 2025 – स. हरचंद सिंह बरसट चेयरमैन कौसांब और चेयरमैन पंजाब मंडी बोर्ड ने फूड लॉस एंड वेस्ट इन फ्रूट एंड वेजिटेबल होलसेल मार्किट विषय पर कर्नाटक में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन विभिन्न अनुसंधान संस्थानों का दौरा किया। इस दौरान स. बरसट की ओर से वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श किया गया और फसलों से संबंधित की जा रही रिसर्च के बारे में जानकारी प्राप्त की गई।
मोहाली, 21 जून, 2025 – स. हरचंद सिंह बरसट चेयरमैन कौसांब और चेयरमैन पंजाब मंडी बोर्ड ने फूड लॉस एंड वेस्ट इन फ्रूट एंड वेजिटेबल होलसेल मार्किट विषय पर कर्नाटक में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन विभिन्न अनुसंधान संस्थानों का दौरा किया। इस दौरान स. बरसट की ओर से वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श किया गया और फसलों से संबंधित की जा रही रिसर्च के बारे में जानकारी प्राप्त की गई।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के पहले दिन जहां फल और सब्जियों के नुकसान और बर्बादी को रोकने के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई, वहीं दूसरे दिन सेंट्रल हॉर्टिकल्चर्ल एक्सपेरिमेंट स्टेशन, चेट्टल्ली और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पाइसेज़ रिसर्च का दौरा किया गया। इस दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा इंस्टीट्यूट में की जा रही खोज और विकसित नई किस्मों के बारे में जानकारी दी गई।
सेंट्रल हॉर्टिकल्चर्ल एक्सपेरिमेंट स्टेशन द्वारा फलों की कई किस्में विकसित की गई हैं, जिनकी न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत अधिक है। इन फलों की पैदावार के लिए आवश्यक वातावरण और तकनीकों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई। इसके साथ ही इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पाइसेज़ रिसर्च में मसालों की विकसित की जा रही नई किस्मों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।
इस मौके पर पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन स. हरचंद सिंह बरसट ने वरिष्ठ वैज्ञानिकों से बातचीत करते हुए इन नई खोजों की आवश्यकता और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि खेती को मजबूत करने के लिए नई खोजों की बहुत जरूरी हैं और इस तरह के संस्थान न केवल भारतीय कृषि की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि यह खेताबाड़ी के भविष्य को भी एक नई दिशा दे रहे हैं।
स. बरसट ने खोज केंद्रों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे संस्थान भारतीय खेतीबाड़ी के क्षेत्र में विशेष योगदान दे रहे हैं। उन्होंने इन इंस्टीट्यूट्स को और उत्साहित करते हुए कहा कि यह समय की आवश्यकता है कि फसलों की ऐसी नई किस्में विकसित की जानी चाहिये, जो विभिन्न मौसमी स्थितियों में अच्छे नतीजे दें और जिन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में पैदा करके किसान लाभ प्राप्त कर सकें।
