
पद्मश्री डॉ. रतन सिंह जग्गी का अंतिम संस्कार: साहित्य और आध्यात्मिक जगत के दिग्गज का निधन।
पटियाला- आज पद्मश्री डॉ. रतन सिंह जग्गी का अंतिम संस्कार गुरुद्वारा सिंह सभा, फव्वारा चौक, पटियाला में भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ किया गया। सिख समुदाय और साहित्य जगत ने इस महान विद्वान को अंतिम विदाई दी।
पटियाला- आज पद्मश्री डॉ. रतन सिंह जग्गी का अंतिम संस्कार गुरुद्वारा सिंह सभा, फव्वारा चौक, पटियाला में भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ किया गया। सिख समुदाय और साहित्य जगत ने इस महान विद्वान को अंतिम विदाई दी।
डॉ. जग्गी का 22 मई 2025 को 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अपने जीवनकाल में उन्होंने गुरमत साहित्य, भक्ति आंदोलन और मध्यकालीन भारतीय धार्मिक ग्रंथों पर असाधारण रचनाएँ लिखीं। दशम ग्रंथ और गुरु ग्रंथ साहिब पर उनका व्यापक कार्य उन्हें भारत के महानतम सांस्कृतिक विद्वानों में से एक बनाता है।
डॉ. जग्गी का जन्म 27 जुलाई 1927 को हुआ था। वे पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में पंजाबी साहित्य अध्ययन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख थे और 1987 में सेवानिवृत्त हुए। वे पंजाबी, हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं के विशेषज्ञ थे और उन्होंने कई प्रसिद्ध पुस्तकें, विश्वकोश और अनुवाद लिखे थे।
पंजाबी साहित्य के स्रोत प्रबोधिनी टीका, दशम ग्रंथ दा टीका, गुरु ग्रंथ विश्वकोष और पंजाबी साहित्य दा स्रोत मूल इतिहास जैसी उनकी रचनाएँ आज भी विद्वानों और आध्यात्मिक साधकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
उन्हें 2023 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उन्हें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारों से साहित्य अकादमी पुरस्कार (1989), पंजाबी साहित्य शिरोमणि पुरस्कार (1996) सहित कई पुरस्कार और डी. लिट की मानद उपाधियाँ मिलीं।
अंतिम संस्कार के दौरान उनके पुत्र श्री मालविंदर सिंह जग्गी, आईएएस, तथा उनकी धर्मपत्नी डॉ. गुरशरण कौर जग्गी, पूर्व प्रिंसिपल, सरकारी कॉलेज पटियाला ने डॉ. जग्गी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि डॉ. जग्गी न केवल एक महान विद्वान थे, बल्कि परिवार के प्रकाश स्तंभ तथा धर्म और समाज की सेवा के लिए समर्पित आत्मा थे। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
इनमें पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां, कैबिनेट मंत्री तरुणदीप सोंध व बलबीर सिंह, पूर्व मंत्री जौरमाजरा, विधायक निंदर भराड़, विधायक अजीतपाल सिंह कोहली (पटियाला), विधायक गुरलाल सिंह (घनौर), विधायक गज्जणमाजरा (अमरगढ़), पूर्व मंत्री ब्रह्म महिंद्रा, पूर्व केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया, समाजसेवी मनिंदर सिंह मन्ना, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री डॉ. एसएस जौहल, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. अरविंद, पूर्व एसजीपीसी अध्यक्ष किरपाल सिंह बडूंगर, पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव वीके जंजुआ तथा नरिंदर सिंह कपूर शामिल थे। मंच का संचालन प्रोफेसर सतीश वर्मा ने किया, जिन्होंने कार्यक्रम को गंभीरता और गरिमा प्रदान की।
वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। वरिष्ठ अधिकारियों, सरकारी पदाधिकारियों, राजनीतिक नेताओं, प्रमुख साहित्यकारों, विद्वानों और सामाजिक समूहों ने अंतिम प्रार्थना में भाग लिया और डॉ. जग्गी को श्रद्धांजलि दी। देश भर के संगठनों से पुष्पांजलि और भावपूर्ण संदेश प्राप्त हुए।
डॉ. रतन सिंह जग्गी की निस्वार्थ सेवा, विनम्रता और गहन विद्वता ने एक ऐसा साहित्यिक खजाना छोड़ा है जो आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान देता रहेगा। उनके निधन से देश ने अपनी धरती का एक सच्चा रत्न खो दिया है - एक ऐसा व्यक्ति जिसके विचार हमेशा भारतीय साहित्य और अध्यात्म में गूंजते रहेंगे।
