देश की खातिर अपने पूरे परिवार को दांव पर लगाने वाले महान शहीद भगवती चरण वोहरा की शहादत को तत्कालीन सरकारों ने नहीं किया याद- तलविंदर हीर

होशियारपुर- देश की आजादी की खातिर अपने प्राणों की आहुति देने वाले अनेक अमूल्य रत्नों में अग्रणी शहीद भगवती चरण वोहरा जी की शहादत को केंद्र व राज्य सरकारों ने पूरी तरह भुला दिया है।

होशियारपुर- देश की आजादी की खातिर अपने प्राणों की आहुति देने वाले अनेक अमूल्य रत्नों में अग्रणी शहीद भगवती चरण वोहरा जी की शहादत को केंद्र व राज्य सरकारों ने पूरी तरह भुला दिया है। 
शहीद-ए-आजम स. भगत सिंह, सुखदेव व यशपाल सहित अनेक स्वतंत्रता सेनानियों के करीबी सहयोगी रहे शहीद भगवती चरण वोहरा जी की मृत्यु 28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर बम का परीक्षण करते समय हो गई थी। यह बम सरदार भगत सिंह व बटकेश्वर दत्त को लाहौर जेल से छुड़ाने के लिए बनाए गए थे। 
भगवती चरण वोहरा जी हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के सदस्य थे। उन्होंने बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से तथा पूरी जिम्मेदारी के साथ गतिविधियों को अंजाम दिया तथा नौजवान भारत सभा के प्रचार सचिव के रूप में अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा व प्रतिबद्धता के साथ निभाया। 
लाला लाजपत राय जी की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद, भगत सिंह व राजगुरु को लाहौर से सुरक्षित निकालकर कलकत्ता ले जाने की जिम्मेदारी भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी ने अपने छोटे से मासूम बेटे साची के साथ उस समय निभाई थी, जब देश के कोने-कोने में पुलिस शहीद भगत सिंह व अन्य को पकड़ने के लिए पूरी तरह सतर्क थी तथा भगत सिंह व अन्य को गिरफ्तार करने के लिए भाग-दौड़ कर रही थी। 
देश के ऐसे महान क्रांतिकारियों की शहादत को भुलाकर वर्तमान सरकारें झूठी तारीफें करने, झूठे आरोप लगाने व झूठा प्रचार करने में जनता का समय बर्बाद कर रही हैं, जो बहुत ही निंदनीय व दुर्भाग्यपूर्ण है। 
अपने अद्वितीय व बहुमूल्य शहीदों की विरासत को भूलने वाली सरकारें ही देश को बर्बाद करने वाली हैं। देश के जहाज डूबने को तैयार हैं। आज देश की मेहनतकश जनता ने शहीद भगवती चरण वोहरा को अपने-अपने तरीके से याद किया तथा श्रद्धा के फूल अर्पित किए। संघर्षरत लोगों ने शहीदों के अधूरे कार्यों को पूरा करने की प्रतिबद्धता भी जताई।