वेटरनरी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों की निगरानी के संबंध में चिकित्सा समुदाय के साथ की विशेषज्ञ चर्चा

लुधियाना 27 फरवरी 2025- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), बठिंडा द्वारा आयोजित “पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियाँ: रोकथाम एवं प्रबंधन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यक्रम ने विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों जैसे चिकित्सा एवं पशु चिकित्सा अधिकारियों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, संबंधित विभागों के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों को जूनोसिस (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियाँ) की रोकथाम में सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने के लिए एक साझा मंच प्रदान किया।

लुधियाना 27 फरवरी 2025- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), बठिंडा द्वारा आयोजित “पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियाँ: रोकथाम एवं प्रबंधन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यक्रम ने विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों जैसे चिकित्सा एवं पशु चिकित्सा अधिकारियों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, संबंधित विभागों के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों को जूनोसिस (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियाँ) की रोकथाम में सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने के लिए एक साझा मंच प्रदान किया।
यह कार्यशाला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र के जूनोटिक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय वन हेल्थ कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित की गई थी।
वेटरनरी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर वन हेल्थ के निदेशक डॉ जसबीर सिंह बेदी को “पशु से मानव को होने वाले रोगों के लिए राष्ट्रीय वन हेल्थ कार्यक्रम”विषय पर व्याख्यान देने के लिए विशेष वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। डॉ बेदी ने सामुदायिक सहभागिता प्रयासों के माध्यम से ब्रुसेलोसिस, रेबीज, रोगाणुरोधी प्रतिरोध और खाद्य सुरक्षा जैसी जूनोटिक बीमारियों से निपटने में विश्वविद्यालय की भूमिका पर प्रकाश डाला। 
विशेषज्ञ पैनल चर्चा के दौरान, डॉ. बेदी ने जूनोटिक रोग नियंत्रण के लिए एकीकृत रणनीति विकसित करने के लिए वेटरनरी विश्वविद्यालय और एम्स बठिंडा के बीच सहयोग के महत्व पर बल दिया। डॉ बेदी ने इन रोगों पर एक मॉडल निगरानी ढांचे के विकास पर भी चर्चा की ताकि पंजाब के चिकित्सा और पशु स्वास्थ्य विभागों के बीच वर्तमान और सटीक डेटा साझा करना संभव हो सके।
एम्स बठिंडा के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ राकेश कक्कड़ ने जूनोटिक रोगों के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम पर प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय वन हेल्थ कार्यक्रम के अंतर्गत निरीक्षण के लिए परिचालन संबंधी दिशा-निर्देशों का भी अवलोकन प्रस्तुत किया।
डॉ जतिंदर पाल सिंह गिल, वाइस चांसलर ने सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने में सेंटर फॉर वन हेल्थ के प्रयासों की सराहना की और पंजाब के कृषक समुदाय को प्रभावित करने वाली जूनोटिक बीमारियों से निपटने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता दोहराई।