क्रांतिकारी जोश के साथ मनाया गया मजदूर दिवस

चंडीगढ़- आज कारखाना मजदूर यूनियन चंडीगढ़ ने नौजवान भारत सभा के सहयोग से हल्लोमाजरा (चंडीगढ़) में 'मजदूर दिवस सम्मेलन' का आयोजन किया। सम्मेलन की शुरुआत मजदूर वर्ग के संघर्षों और बलिदानों के प्रतीक लाल झंडे को फहराने और क्रांतिकारी नारों और अंतरराष्ट्रीय गीतों के साथ हुई। कारखाना मजदूर यूनियन चंडीगढ़ और नौजवान भारत सभा के मानव और निक्की के नेता पुष्पिंदर ने सम्मेलन को संबोधित किया। कार्यक्रम में पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) ने भी हिस्सा लिया।

चंडीगढ़- आज कारखाना मजदूर यूनियन चंडीगढ़ ने नौजवान भारत सभा के सहयोग से हल्लोमाजरा (चंडीगढ़) में 'मजदूर दिवस सम्मेलन' का आयोजन किया। सम्मेलन की शुरुआत मजदूर वर्ग के संघर्षों और बलिदानों के प्रतीक लाल झंडे को फहराने और क्रांतिकारी नारों और अंतरराष्ट्रीय गीतों के साथ हुई। कारखाना मजदूर यूनियन चंडीगढ़ और नौजवान भारत सभा के मानव और निक्की के नेता पुष्पिंदर ने सम्मेलन को संबोधित किया। कार्यक्रम में पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) ने भी हिस्सा लिया। 
वक्ताओं ने मई दिवस के ऐतिहासिक महत्व, देश और दुनिया के हालात और मजदूर वर्ग के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। कार्यक्रम के दौरान क्रांतिकारी गीतों और नाटकों का कार्यक्रम पेश किया गया। मंच का संचालन अंकित ने बखूबी किया। 
अंत में इलाके में झंडा मार्च भी निकाला गया। सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि मई दिवस मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक है। हर साल एक मई को पूरी दुनिया में ‘आठ घंटे काम, आठ घंटे आराम और आठ घंटे मनोरंजन’ के नारे के तहत ऐतिहासिक संघर्ष और मजदूरों के अन्य अधिकारों के लिए खुद को कुर्बान करने वाले मजदूर शहीदों की याद में मनाया जाता है। मई दिवस के शहीदों के विचार, उनकी शहादतें, उनका जीवन शोषित लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 
पूरी दुनिया में और भारत में भी मजदूरों को जो भी कानूनी अधिकार मिले हैं, वे पूंजीपति वर्ग की दानशीलता से नहीं बल्कि मजदूर वर्ग के एकजुट जुझारू संघर्ष और हमारे पूर्वजों की बेमिसाल शहादतों की बदौलत मिले हैं। जब भी सरकार और पूंजीपति मजदूरों की एकता को कमजोर अवस्था में देखते हैं, तो वे हमारे अधिकारों पर हमला करते हैं। वक्ताओं ने कहा कि आज भारत में मजदूर आंदोलन की कमजोर स्थिति को देखकर पूंजीपति वर्ग मजदूरों पर तीखा आर्थिक और राजनीतिक हमला कर रहा है। मजदूरों के बुनियादी कानूनी श्रम अधिकार भी छीने जा रहे हैं। मोदी सरकार ने चार श्रम संहिताओं के रूप में मजदूर वर्ग पर बड़ा हमला किया है। 
हर सरकार वैश्वीकरण-उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों को बड़े पैमाने पर लागू कर रही है। सांप्रदायिक-फासीवादी हमले भी बढ़ रहे हैं। मजदूर वर्ग को इन हमलों का मुकाबला करने के लिए अन्य मजदूरों को साथ लेकर एक बड़ी एकजुट ताकत बनानी होगी। हर तरह के शोषण-अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए आगे आना ही मई दिवस के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।