
महान रूसी अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व करने वाले महान कम्युनिस्ट नेता कामरेड लेनिन की 122वीं जयंती गढ़शंकर के जन संगठनों द्वारा गांधी पार्क, गढ़शंकर में एक विचार गोष्ठी के रूप में मनाई गई।
गढ़शंकर 22/04/25- 1917 की महान रूसी अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व करने वाले महान कम्युनिस्ट नेता कामरेड लेनिन की 122वीं जयंती गढ़शंकर के जन संगठनों द्वारा गांधी पार्क गढ़शंकर में कामरेड कुलभूषण कुमार महिंदवानी और कामरेड हरमेश ढेसी के नेतृत्व में विचार गोष्ठी के रूप में मनाई गई।
गढ़शंकर 22/04/25- 1917 की महान रूसी अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व करने वाले महान कम्युनिस्ट नेता कामरेड लेनिन की 122वीं जयंती गढ़शंकर के जन संगठनों द्वारा गांधी पार्क गढ़शंकर में कामरेड कुलभूषण कुमार महिंदवानी और कामरेड हरमेश ढेसी के नेतृत्व में विचार गोष्ठी के रूप में मनाई गई।
गोष्ठी के आरंभ में रामजी दास चौहान और शाम सुंदर ने कामरेड लेनिन के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने रूसी शासक ज़ार द्वारा जनता पर किए गए अत्याचारों के विरुद्ध महान कार्ल मार्क्स के विचारों को व्यवहारिक रूप से लागू करके जन-आंदोलन और संघर्षों के माध्यम से मेहनतकश जनता की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया और रूस में समाजवाद की स्थापना करके पूंजीवादी व्यवस्था पर बड़ा प्रहार किया, जिसके परिणामस्वरूप विश्व के लगभग एक तिहाई भाग में समाजवादी व्यवस्था की स्थापना हुई।
मुकेश कुमार, कामरेड हरमेश ढेसी और प्रिंसिपल सरूप चंद ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी व्यवस्था के पिछड़ेपन और भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के पतन के कारणों को समझने और उनका अध्ययन करने की आवश्यकता है क्योंकि भारत जैसे देश में, जहां वर्ग विभाजन के साथ-साथ समाज में जाति आधारित भेदभाव जारी है, भारत की सामाजिक संरचना की कमजोरियों को समझे बिना मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारों को लागू नहीं किया जा सकता है।
कामरेड मलकीयत सिंह बाहोवाल ने चर्चा का समापन करते हुए कहा कि पूंजीवाद ने आज पूरे विश्व में बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी और युद्ध के जो संकट पैदा किए हैं, उसका एकमात्र समाधान कामरेड लेनिन के दिखाए रास्ते पर जन-आंदोलन के माध्यम से समाजवादी व्यवस्था की स्थापना करके ही निकाला जा सकता है। उन्होंने भारत में सांप्रदायिक और तानाशाही ताकतों के बढ़ते खतरे के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि इस समय सभी वामपंथी और प्रगतिशील ताकतों की एकता और संघर्ष ही देश को इस संकट से बाहर निकाल सकता है।
अंत में बलबीर खानपुरी ने चर्चा में भाग लेने वाले साथियों का धन्यवाद किया और कहा कि हमें ऐसे महान क्रांतिकारी नेताओं के जन्मदिन को बड़े पैमाने पर मनाना चाहिए ताकि उनके लोगों को कल्याणकारी जन चेतना का हिस्सा बनाया जा सके। इस समय बलवंत राम ज्ञानी अवतार सिंह हंसराज, शिंगारा राम भज्जल अमरजीत सिंह, गुरमेल राम, गुरनाम हाजीपुर, गोपाल दास मनहोत्रा, रमन कुमार, बलजीत कुमार, संत राम, शाम सुंदर शर्मा, देवी दास भज्जल मौजूद थे।
