
बठिंडा के लेखकों ने दिवंगत लेखकों, लघु कथाकार प्रेम प्रकाश, प्रख्यात आलोचक प्रो. हरजिंदर सिंह अटवाल और चार अन्य लेखकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
बठिंडा- हाल ही में दिवंगत हुए प्रसिद्ध कहानीकार प्रेम प्रकाश, प्रख्यात आलोचक एवं केंद्रीय पंजाबी लेखक संघ (रजि.) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. हरजिंदर सिंह अटवाल, प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक डा. मोहम्मद एजाज यूके, कवि केवल शर्मा, सुरजीत भगत, कलाकार वीरपाल समरा और भूपिंदर संधू की ओर से यहां टीचर्स होम में एक शोक सभा का आयोजन किया गया।
बठिंडा- हाल ही में दिवंगत हुए प्रसिद्ध कहानीकार प्रेम प्रकाश, प्रख्यात आलोचक एवं केंद्रीय पंजाबी लेखक संघ (रजि.) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. हरजिंदर सिंह अटवाल, प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक डा. मोहम्मद एजाज यूके, कवि केवल शर्मा, सुरजीत भगत, कलाकार वीरपाल समरा और भूपिंदर संधू की ओर से यहां टीचर्स होम में एक शोक सभा का आयोजन किया गया।
इस शोक सभा में बठिंडा शहर की लेखक समितियों पंजाबी साहित्य सभा, साहित्य सृजन मंच, साहित्य ते सच्चरक मंच, साहित्य जागृति सभा तथा टीचर्स होम ट्रस्ट से जुड़े लगभग दो दर्जन लेखक व साहित्य प्रेमी शामिल हुए।
शोक सभा की शुरुआत में दो मिनट का मौन रखा गया और उपस्थित लेखकों ने दिवंगत लेखकों को श्रद्धांजलि दी।
इसके बाद केंद्रीय पंजाबी लेखक संघ के उपाध्यक्ष सुरिंदरप्रीत घनिया ने उपरोक्त लेखकों को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके साहित्यिक योगदान का उल्लेख किया और उनकी प्रशंसा की। प्रो. हरजिंदर सिंह अटवाल के बारे में उन्होंने कहा कि अटवाल साहब एक ईमानदार, सभ्य और मिलनसार व्यक्ति, एक सक्षम आलोचक और एक ईमानदार और मजबूत संगठनात्मक नेता थे। उन्होंने केवल शर्मा के कविता संग्रह 'बबीहा' से एक कविता सुनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
शिरोमणि कहानीकार एवं केंद्रीय पंजाबी लेखक संघ के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अतरजीत सिंह ने प्रेम प्रकाश को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि प्रेम प्रकाश ने पंजाबी कहानी में न केवल एक विशेष प्रवृत्ति स्थापित की बल्कि उसे कलात्मक रूप से भी समृद्ध किया। उन्होंने प्रो. हरजिंदर अटवाल के साथ अपनी यादें साझा करते हुए कहा कि वे बहुत विनम्र और मिलनसार व्यक्ति थे।
प्रेम प्रकाश के साहित्यिक योगदान का उल्लेख करते हुए पंजाबी साहित्य अकादमी, लुधियाना के उपाध्यक्ष जसपाल मनखेरा ने कहा कि प्रेम प्रकाश ने अपनी कहानियों में आधुनिक मनुष्य की आंतरिक उथल-पुथल को खूबसूरती से प्रस्तुत करके पंजाबी कहानी को एक नई दिशा दी। उन्होंने प्रोफेसर हरजिंदर सिंह अटवाल, डॉ. मोहम्मद इजाज और भूपिंदर संधू के साहित्यिक योगदान की भी सराहना की। इसके बाद प्रोफेसर तरसेम नरूला, अमर सिंह सिद्धू, सुखदर्शन गर्ग, अमरजीत सिंह आदि वक्ताओं ने उपरोक्त के अलावा सुरजीत भगत, वीरपाल समरा को श्रद्धांजलि दी और उनके जाने को पंजाबी साहित्य के लिए बड़ी क्षति बताया।
शोक सभा का संचालन करते हुए टीचर्स होम ट्रस्ट के महासचिव लक्ष्मण मलूका ने भी ट्रस्ट की ओर से दिवंगत साहित्यकारों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस शोक सभा में उपरोक्त के अलावा रणवीर राणा, मंजीत सिंह जीत, डॉ. जसपालजीत, डॉ. अजीत पाल सिंह, दमजीत दर्शन, प्रिं अमरजीत सिधू, रमेश कुमार गर्ग, अमरजीत कौर हरार, कमल बठिंडा, मीत बठिंडा, भोला सिंह शामिरिया, रमेश सेठी, दलजीत बंगी, अवतार सिंह बाहिया, जसविंदर सुरजीत आदि लेखक उपस्थित थे।
