
बिना अनुमति बोरवेल खोदने या गहरा करने पर रोक
नवांशहर- जिला मजिस्ट्रेट शहीद भगत सिंह नगर अंकुरजीत सिंह ने देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक रिट याचिका (सिविल संख्या 36/2009) दिनांक 11.02.2010 में पारित आदेश के आलोक में भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा बोरवेल/ट्यूबवेल खोदने/मरम्मत करने के लिए जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना में तथा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे कुओं एवं ट्यूबवेलों की खुदाई के कारण लोगों एवं बच्चों के इन बोरवेलों में गिरने की आशंका के मद्देनजर जिले में बिना अनुमति बोरवेल खोदने या गहरा करने पर रोक लगा दी है तथा सक्षम अधिकारी से सशर्त मंजूरी अनिवार्य कर दी है।
नवांशहर- जिला मजिस्ट्रेट शहीद भगत सिंह नगर अंकुरजीत सिंह ने देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक रिट याचिका (सिविल संख्या 36/2009) दिनांक 11.02.2010 में पारित आदेश के आलोक में भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा बोरवेल/ट्यूबवेल खोदने/मरम्मत करने के लिए जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना में तथा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे कुओं एवं ट्यूबवेलों की खुदाई के कारण लोगों एवं बच्चों के इन बोरवेलों में गिरने की आशंका के मद्देनजर जिले में बिना अनुमति बोरवेल खोदने या गहरा करने पर रोक लगा दी है तथा सक्षम अधिकारी से सशर्त मंजूरी अनिवार्य कर दी है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी आदेश के अनुसार, बोरवेल खोदने से 15 दिन पहले भूमि मालिक को संबंधित जिला कलेक्टर, संबंधित ग्राम पंचायत, नगर परिषद, जनस्वास्थ्य विभाग, मृदा संरक्षण विभाग (भूजल) को सूचित करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, बोरवेल खोदने वाली ड्रिलिंग एजेंसी का नाम और पंजीकरण संख्या और भूमि मालिक का पूरा नाम और पता वाला साइनबोर्ड संबंधित ड्रिलिंग स्थल के पास होना चाहिए।
बोरवेल को कांटेदार तार से घेरना और उसे नट-बोल्ट के साथ स्टील प्लेट कवर से बंद करना अनिवार्य होगा। बोरवेल के चारों ओर सीमेंट/कंक्रीट का प्लेटफॉर्म बनाना अनिवार्य होगा, जो जमीन के स्तर से 0.30 मीटर नीचे और 0.30 मीटर ऊपर हो। इसके अलावा, यदि कुएं/बोरवेल की खुदाई या मरम्मत के बाद कोई खाली जगह है, तो उसे मिट्टी से भर दिया जाना चाहिए और काम पूरा होने के बाद जमीन के स्तर को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में कुआं या बोरवेल खाली नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
कोई भी व्यक्ति कुआं/बोरवेल खोदने या मरम्मत करने के लिए जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग से लिखित अनुमति नहीं लेगा और उनकी देखरेख के बिना कार्य नहीं करवाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच व कृषि विभाग के अधिकारी तथा शहरी क्षेत्रों में जनस्वास्थ्य विभाग, भू-संरक्षण (भूजल), नगर परिषदों के कनिष्ठ अभियंता व कार्यकारी अभियंता भी अपने-अपने अधिकार क्षेत्र से इस संबंध में नियमित रिपोर्ट तैयार कर हर माह अतिरिक्त उपायुक्त (विकास) को भेजेंगे। ये निषेधाज्ञा 31 मई, 2025 तक लागू रहेंगी।
