
हरदेव सिंह बने प्रेरणास्रोत "जीते रहते रक्तदान करो, मरते रहते नेत्रदान करो" - दुपालपुरी
नवांशहर- नेत्रदानी स्वर्गीय हरदेव सिंह "जीते रहते रक्तदान करो, मरते रहते नेत्रदान करो" जागरूकता संदेश के प्रेरणास्रोत बन गए हैं - यह शब्द जत्थेदार त्रलोचन सिंह दुपालपुरी ने स्थानीय गुरु नानक नगर स्थित गुरुद्वारा साहिब में हरदेव सिंह के नाम अंतिम अरदास के बाद संगत को संबोधित करते हुए कहे।
नवांशहर- नेत्रदानी स्वर्गीय हरदेव सिंह "जीते रहते रक्तदान करो, मरते रहते नेत्रदान करो" जागरूकता संदेश के प्रेरणास्रोत बन गए हैं - यह शब्द जत्थेदार त्रलोचन सिंह दुपालपुरी ने स्थानीय गुरु नानक नगर स्थित गुरुद्वारा साहिब में हरदेव सिंह के नाम अंतिम अरदास के बाद संगत को संबोधित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा कि उनकी पुत्रवधू सुखविंदर कौर नियमित रक्तदान करती है, जो 36 बार रक्तदान कर चुकी है, इस प्रकार यह परिवार रक्तदान व नेत्रदान सेवा के लिए एक मिसाल बन गया है। उन्होंने कहा कि हमें अपने परलोक को सुधारने की कामना करते हुए अपने वर्तमान को भी सुधारने के लिए प्रयास जारी रखने चाहिए।
बीडीसी व उपकार सोसायटी की ओर से जेएस गिद्दा ने रक्तदान को सर्वोत्तम दान बताते हुए कहा कि 18 से 65 वर्ष की आयु के स्वस्थ व्यक्ति, जिनका शरीर का वजन कम से कम 45 किलोग्राम तथा हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम हो, वे तीन माह बाद रक्तदान करके जरूरतमंद लोगों की जान बचा सकते हैं। नेत्रदान संस्था रोपड़ के अध्यक्ष मनजीत सिंह ने कहा कि जीवित रहते हुए जागरूक लोग शपथ के माध्यम से वचन देते हैं कि वे मरने के बाद अपनी आंखें दान करने के लिए सहमत हैं।
इस दान से संबंधित परिवार की जागरूकता जरूरी है, क्योंकि परिवार द्वारा ही संस्था को दिवंगत आत्मा के बारे में सूचित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में करीब एक करोड़ लोग आंखों की रोशनी से वंचित हैं, लेकिन अज्ञानता के कारण हम मृतक की अनमोल आंखें कुर्बान कर देते हैं, लेकिन नेत्रदानियों के दान से कुछ जरूरतमंद लोगों को रोशनी भी मिल रही है, जैसे स्वर्गीय हरदेव सिंह, जिन्होंने इस दुनिया से जाते-जाते दो लोगों की आंखों को रोशनी देने का पुण्य कमाया है।
इस अवसर पर संस्था ने नेत्रदानी हरदेव सिंह के पुत्र भूपिंदर सिंह को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। श्रद्धालुओं में स्टेज सचिव सुखविंदर सिंह, गुरिंदर कौर, बलवीर कौर, सुखविंदर कौर, गुरदेव सिंह पाबला सरपंच लंगरोआ, स्वास्थ्य मंत्री पंजाब भाई जसवीर सिंह भौरा, मनमीत सिंह मैनेजर बीडीसी, सुमित गिल होशियारपुर और मलविंदर सिंह लुधियाना आदि शामिल थे।
