
पंजाब के एक जिले में 1338 एफआईआर लंबित, हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को लगाई फटकार
चंडीगढ़- पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने अकेले अमृतसर जिले में लंबित आपराधिक जांचों पर आश्चर्य व्यक्त किया है। जहां 1338 एफआईआर तीन साल से अधिक समय से लंबित हैं और हजारों आरोपी फरार हैं। पुलिस निगरानी की कमी की निंदा करते हुए न्यायमूर्ति एनएस शेखावत ने पंजाब को सभी आईपीएस अधिकारियों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जो 2013 से अमृतसर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के रूप में कार्य कर चुके हैं, ताकि उन सभी के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक/कानूनी कार्रवाई की जा सके।
चंडीगढ़- पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने अकेले अमृतसर जिले में लंबित आपराधिक जांचों पर आश्चर्य व्यक्त किया है। जहां 1338 एफआईआर तीन साल से अधिक समय से लंबित हैं और हजारों आरोपी फरार हैं। पुलिस निगरानी की कमी की निंदा करते हुए न्यायमूर्ति एनएस शेखावत ने पंजाब को सभी आईपीएस अधिकारियों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जो 2013 से अमृतसर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के रूप में कार्य कर चुके हैं, ताकि उन सभी के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक/कानूनी कार्रवाई की जा सके।
न्यायमूर्ति शेखावत ने पंजाब पुलिस महानिदेशक को एक हलफनामा प्रस्तुत कर राज्य के उन सभी मामलों की सूची देने का भी निर्देश दिया, जिनमें जांच तीन वर्ष से अधिक समय से लंबित है।
पीठ ने कहा कि अदालत यह जानकर आश्चर्यचकित है कि वर्ष 2013 में दर्ज मामलों की जांच अभी भी लंबित बताई जा रही है। कई मामलों में जांच अधिकारियों की फाइलें 10 वर्षों से अधिक समय से गायब हैं और बताया गया है कि पुलिस फाइल का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। कुछ मामलों में यह पाया गया है कि पीड़ितों की चोटों के संबंध में डॉक्टर की राय चार वर्षों से अधिक समय तक प्राप्त नहीं की गई। अधिकांश मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है और पंजाब के एक जिले में हजारों अपराधी फरार हैं।
आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाने में प्रणालीगत विफलता की ओर इशारा करते हुए अदालत ने जोर देकर कहा, “रिकॉर्ड से यह भी स्पष्ट है कि फरार आरोपियों को भगोड़ा घोषित करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई और उनकी संपत्तियों को कुर्क करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।”
इसे गंभीरता से लेते हुए अदालत ने डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने को कहा कि मामले को जल्दबाजी में बंद करने के बजाय निष्पक्ष तरीके से चलाया जाए।
न्यायमूर्ति शेखावत ने डीजीपी को पुलिस रिकॉर्ड नष्ट करने या जांच फाइलों को गायब करने के दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक, कानूनी या आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का भी आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को निर्धारित की गई है।
