
लालवान में मनरेगा कार्य में चार साल से पशु शेड के सामान की पेमेंट लेने के लिए माहिलपुर बीडीपीओ कार्यालय में धक्के खा रहे मजदूरों को, धीमान ने लोकपाल मनरेगा से की शिकायत।
होशियारपुर 27 फरवरी- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 पूरी तरह से अनियमितताओं व भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। इस संबंध में लेबर पार्टी के अध्यक्ष जय गोपाल धीमान ने गांव लालवान में मनरेगा जॉब कार्ड नंबर 159 के तहत बनाए गए पशु शेड के सामान की पेमेंट न मिलने पर पंजाब सरकार की कड़ी निंदा की और कहा कि पिछले 4 साल से माहिलपुर बीडीओ कार्यालय में धक्के खाने के बावजूद भी पशु शेड के सामान का पैसा उनके खाते में जमा नहीं करवाया जा रहा है और यह सब जानबूझ कर किया जा रहा है, जबकि गांव के अन्य लोगों का पैसा पहले ही आ चुका है।
होशियारपुर 27 फरवरी- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 पूरी तरह से अनियमितताओं व भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। इस संबंध में लेबर पार्टी के अध्यक्ष जय गोपाल धीमान ने गांव लालवान में मनरेगा जॉब कार्ड नंबर 159 के तहत बनाए गए पशु शेड के सामान की पेमेंट न मिलने पर पंजाब सरकार की कड़ी निंदा की और कहा कि पिछले 4 साल से माहिलपुर बीडीओ कार्यालय में धक्के खाने के बावजूद भी पशु शेड के सामान का पैसा उनके खाते में जमा नहीं करवाया जा रहा है और यह सब जानबूझ कर किया जा रहा है, जबकि गांव के अन्य लोगों का पैसा पहले ही आ चुका है।
धीमान ने बताया कि 03-02-2021 को गांव में कार्य आई.डी. नंबर 2607009091-आईएफ-57050 के तहत 60,000 रुपए की लागत से पशु शेड का कार्य शुरू हुआ था। जिसमें मनरेगा मजदूर के 263 दिन खर्च हुए और सामग्री घटक के 42350 रुपए खर्च हुए। मजदूर पिछले 4 साल से इंतजार कर रहा है। उसने आसपास के लोगों से सामग्री के पैसे उधार लेकर लगाए तो पशु शेड भी बनकर तैयार हो गया है।
उन्होंने बताया कि गरीब मजदूर को एक ही दिहाड़ी पर काम करना पड़ता है और एक ही खाना खाना पड़ता है। ऐसा एक जगह नहीं हो रहा है। यह सब सिर्फ गरीब लोगों के साथ होता है, क्योंकि उनके पास कहने को कुछ होता है। इसका पूरा रिकॉर्ड बीडीपीओ, मनरेगा प्रोजेक्ट अधिकारी और पंजाब सरकार व केंद्र सरकार से स्वीकृत होता है। फिर मनरेगा के अंदर एक मजबूत ढांचा तो है, लेकिन काम करने में उनकी कार्यकुशलता पूरी तरह से भ्रष्टाचार के घेरे में है। यह भी है कि मनरेगा में हर साल ऑडिट होता है, फिर भी मनरेगा मजदूर की सामग्री का पैसा उसके बैंक खाते में नहीं पहुंचा।
सवाल यह उठता है कि क्या सरकार को इस मजदूर का भुगतान रोकना था और फिर जिले के बाकी मजदूरों को कैसे मिल गया? ये त्रुटियां कई सवाल खड़े करती हैं। धीमान ने कहा कि मनरेगा कार्यों में वितरण के दौरान काम भी बराबर बांटा जाता है। लेकिन एक्ट के अनुसार 100 डिला गारंटी काम प्रत्येक मजदूर के हिस्से का है। लेकिन जो मजदूरों के चहेते होते हैं, वे ज्यादा लाभ उठा लेते हैं और गरीब नफरत और अन्याय का शिकार होकर रह जाते हैं।
यह सब मनरेगा मजदूरों की मर्जी के अनुसार होता है न कि मनरेगा एक्ट के अनुसार काम दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जब मनरेगा मजदूर अपना हक पाने के लिए उच्च अधिकारियों से मिलते हैं तो उन्हें ब्लॉक स्तर के मजदूरों की डांट खानी पड़ती है। दरअसल न्याय मिलने में देरी के कारण मजदूर हताश हो जाते हैं और भ्रष्ट लोग मनमानी कर मजदूरों के हकों से खिलवाड़ करते हैं। धीमान ने मनरेगा मजदूरों का बकाया भुगतान दिलाने के लिए माननीय मुख्य सचिव, पंजाब सरकार के समक्ष भी इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई।
