माता संतोष बाला का मानव सेवा कार्य समाज के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा - संजीव अरोड़ा

होशियारपुर- नेत्रदान व देहदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना पीड़ितों को नई रोशनी देने तथा कॉर्नियल अंधेपन पर काबू पाने के लिए चिकित्सा विज्ञान को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा काम है। जहां कई लोगों को रोशनी मिल रही है, वहीं मृत्यु के बाद देहदान करने से मेडिकल प्रैक्टिकल की पढ़ाई कर रहे बच्चों को मदद मिलती है।

होशियारपुर- नेत्रदान व देहदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना पीड़ितों को नई रोशनी देने तथा कॉर्नियल अंधेपन पर काबू पाने के लिए चिकित्सा विज्ञान को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा काम है। जहां कई लोगों को रोशनी मिल रही है, वहीं मृत्यु के बाद देहदान करने से मेडिकल प्रैक्टिकल की पढ़ाई कर रहे बच्चों को मदद मिलती है।
 यह बात रोटरी आई बैंक व कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन सोसायटी के अध्यक्ष व प्रधान संजीव अरोड़ा ने कही। श्री अरोड़ा ने बताया कि माउंट एवेन्यू निवासी 70 वर्षीय माता संतोष बाला का पार्थिव शरीर उनके परिवार के सदस्यों इकबाल सिंह (पति), बलजिंदर सिंह (पुत्र), राजिंदर कौर (बहू), डॉ. मालविंदर सिंह (पुत्र), गुरिंदर कौर (बहू), आनंदन सिंह, मनमोहित सिंह (पौत्र) गुरनाम कौर (पौत्री) ने रोटरी आई बैंक के माध्यम से मेडिकल कॉलेज पटियाला के लिए दान कर दिया।
 इस अवसर पर संजीव अरोड़ा ने परिवार का करोड़ों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि माता संतोष बाला का यह निर्णय समाज के लिए एक प्रेरणा है और आज के समय में यह एक सच्ची मानव सेवा है, श्री अरोड़ा ने कहा कि नेत्रदान और देहदान मरणोपरांत किए जाने वाले दान हैं। इसके लिए समाज में जागरूकता ही सबसे अच्छा स्त्रोत है। देहदान के साथ-साथ स्वर्गीय माता संतोष बाला द्वारा 25 पार्थिव देह भी चिकित्सा अनुसंधान के लिए विभिन्न मेडिकल कॉलेजों को दान की गई हैं। 
क्योंकि चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई करने वाले बच्चे मानव शरीर के अनुसंधान को बढ़ाने में सफल होंगे। क्योंकि कृत्रिम शरीर पर शोध करना और व्यक्ति के शरीर पर शोध करने में बहुत बड़ा अंतर होता है। इसलिए सोसायटी नेत्रदान और देहदान के लिए जागरूकता फैला रही है।
 इस अवसर पर चेयरमैन जे.बी. बहल और सचिव वीना चोपड़ा ने परिवार को इस नेक कार्य के लिए नमन किया और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बताया और कहा कि सोसायटी अब तक अंधेपन से पीड़ित 4117 लोगों को रोशनी प्रदान कर चुकी है।