आदिवासियों पर हो रहे चौतरफा हमले को रोकने की मांग को लेकर चर्चा व विरोध प्रदर्शन

जालंधर 26 फरवरी- आदिवासी क्षेत्र के लोगों पर हो रहे चौतरफा हमले के परिप्रेक्ष्य में 'गदरी विरासत की रोशनी में: लोकतांत्रिक अधिकारों पर कॉरपोरेट व फासीवादी हमला' विषय पर गंभीर चर्चा के बाद आदिवासी क्षेत्र में हो रहे नरसंहार, तबाही, उत्पीड़न व जंगल, जल, जमीन को देशी-विदेशी कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने पर रोक लगाने की जोरदार आवाज उठाते हुए देश भगत यादगार हॉल से प्रेस क्लब तक विरोध प्रदर्शन किया गया।

जालंधर 26 फरवरी- आदिवासी क्षेत्र के लोगों पर हो रहे चौतरफा हमले के परिप्रेक्ष्य में 'गदरी विरासत की रोशनी में: लोकतांत्रिक अधिकारों पर कॉरपोरेट व फासीवादी हमला' विषय पर गंभीर चर्चा के बाद आदिवासी क्षेत्र में हो रहे नरसंहार, तबाही, उत्पीड़न व जंगल, जल, जमीन को देशी-विदेशी कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने पर रोक लगाने की जोरदार आवाज उठाते हुए देश भगत यादगार हॉल से प्रेस क्लब तक विरोध प्रदर्शन किया गया। 
प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारे लगाए और मांग की कि आदिवासी क्षेत्र में हो रहे नरसंहार को तुरंत रोका जाए, जंगलों से अर्धसैनिक बलों को हटाया जाए और ऑपरेशन केगर के तहत आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों को रोका जाए। इस विरोध प्रदर्शन में देश भगत यादगार कमेटी द्वारा अन्यायपूर्ण युद्ध को रोकने की मांग की गई। 
देश भगत यादगार कमेटी के अध्यक्ष अजमेर सिंह, महासचिव पृथीपाल सिंह मरीमेघा, वित्त सचिव सीतल सिंह संघा तथा सांस्कृतिक विंग के संयोजक अमोलक सिंह की अध्यक्षता में हुई चर्चा की शुरुआत फरवरी माह के स्वतंत्रता संग्राम में 1926-27 के बब्बर अकाली आंदोलन के शहीदों शहीद चंद्र शेखर आजाद, शहीद जतिंदर नाथ सान्याल, शहीद सोहन लाल पाठक, शहीद रूर सिंह चूहड़चक्क, सूफी अंबा प्रसाद, साका ननकाना साहिब तथा जैतो दा मोर्चा के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। 
कमेटी के महासचिव पृथीपाल सिंह मरीमेघा ने लोगों से अपील की कि वे इन ऐतिहासिक घटनाओं तथा स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की अमिट विरासत से प्रेरणा लेकर अपने अधूरे कार्यों को पूरा करने का अपना कर्तव्य समझें। चर्चा में देश भगत यादगार कमेटी के सदस्य मंगत राम पासला, सुखविंदर सिंह सेखों तथा डॉ. परमिंदर सिंह ने मुख्य रूप से भाग लिया। वक्ताओं ने कहा कि देश को लूटने वाले साम्राज्यवादी कॉरपोरेट हमलावरों और उनके स्वदेशी सहयोगियों द्वारा किए जा रहे हमलों के खिलाफ जनता को एक व्यापक, दीर्घकालिक, दृढ़, अडिग और एकजुट जन संघर्ष खड़ा करना समय की मांग है। 
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार स्वतंत्रता संग्राम में अपार बलिदान देने वालों की गौरवशाली विरासत को नष्ट करके जनता के खिलाफ नंगा सफेद युद्ध थोप रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों का पक्ष लेने वाले क्रांतिकारियों को ‘नक्सलियों से मुठभेड़’ की कहानियां गढ़कर गोलियों से भून दिया जा रहा है। वक्ताओं ने तथ्यों के साथ उल्लेख किया कि अपनी जान की बाजी लगाकर हासिल किए गए बुनियादी लोकतांत्रिक मानवाधिकारों का भी हनन, बुद्धिजीवियों, लेखकों, कलाकारों, पत्रकारों, लोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं को जेल में डालना और 31 मार्च 2026 तक नक्सलियों को मिटा देने की खुली घोषणा यह दर्शाती है कि कॉरपोरेट जगत की सेवा में भाजपा सरकार द्वारा अपनाया गया हिंदुत्ववादी फासीवादी एजेंडा भविष्य में जनता के खिलाफ और भी व्यापक और तीखे हमले करेगा। 
चर्चा में निष्कर्ष निकला कि जनता ही इतिहास की निर्माता है और जनता को कोई नहीं हरा सकता, लेकिन जरूरी है कि सभी जन हितैषी ताकतें एकजुट होकर जनशक्ति का किला बनाएं और ऐसे कॉरपोरेट और फासीवादी हमलों के खिलाफ जन संघर्ष के लिए मैदान में उतरें। इस अवसर पर नरिंदर जंडियाला, सुरिंदर कुमारी कोछड़, डॉ. शैलेश, सीतल सिंह संघा, मास्टर मदन बुल्लोवाल और जसविंदर फगवाड़ा भी शामिल हुए। 
इस मौके पर कमेटी सदस्य प्रोफेसर वरयाम सिंह संधू, कनाडा से आए गुरुमीत सिंह के अलावा कमेटी सदस्य हरमेश मालरी, परगट सिंह जामाराय, चरणजी लाल कंगनीवाल, विजय बंबाली और देश भगत यादगार हॉल के परिवार से जुड़ी हस्तियां डॉ. हरजीत, डॉ. हरजिंदर सिंह अटवाल, सुमन लता, सुखदेव फगवाड़ा, बूटा सिंह महमूदपुर, पावेल कुसा, परमजीत आदमपुरा, राजिंदर होशियारपुर, मोहन बल, सुखविंदर बागपुर, केसर, परमजीत कलसी, परषोत्तम बिलगा और विभिन्न संगठनों के नेताओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम के अंत में समिति अध्यक्ष अजमेर सिंह ने आज के ज्वलंत मुद्दे पर आने वाले दिनों में समिति में चर्चा कर निकट भविष्य में समिति द्वारा संभावित सक्रियता का आश्वासन दिया।