प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी सड़क खरौदी से हकूमतपुर-खैर अच्छरवाल-नगदीपुर-मखसूसपुर होते हुए बधान फगवाड़ा तक एक साल बाद भी खामियों से भरी पड़ी है।

13 फरवरी होशियारपुर- सड़कों पर सड़क सुरक्षा नाम की कोई चीज नहीं है। जब सड़कों पर यातायात सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस बुनियादी ढांचे का भी ऑडिट किया जाता है और इन कार्यों के लिए लाखों रुपए पानी की तरह बहाए जाते हैं, तो ऐसा लगता है कि सब कुछ कागजों पर ही किया जाता है।

13 फरवरी होशियारपुर- सड़कों पर सड़क सुरक्षा नाम की कोई चीज नहीं है। जब सड़कों पर यातायात सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस बुनियादी ढांचे का भी ऑडिट किया जाता है और इन कार्यों के लिए लाखों रुपए पानी की तरह बहाए जाते हैं, तो ऐसा लगता है कि सब कुछ कागजों पर ही किया जाता है। 
इस संबंध में लेबर पार्टी के अध्यक्ष जय गोपाल धीमान व नरेंद्र सिंह ने बताया कि खरौदी से विहीदीन वाया हकूमतपुर-खैर अच्छरवाल-नगदीपुर-मखसूसपुर होते हुए विहीदीन फगवाड़ा तक सड़क बने हुए मात्र 1 वर्ष ही हुआ है, परंतु उस सड़क के किनारों पर खड़े बिजली सप्लाई के खंभे व सड़क के डंगे अभी तक नहीं हटाए गए हैं, उन्होंने बताया कि इस सड़क के ढांचे में कई खामियां हैं, जो हमेशा हादसों का कारण बनती हैं। 
सड़क के शुरू से ही सुरक्षा सवालों के घेरे में रही है। सड़क के दोनों ओर बड़ी-बड़ी सब्जी की दुकानें हैं, जो यातायात सुरक्षा के लिए खतरा बनी हुई हैं। गांव हकूमतपुर के पास बिजली सप्लाई के खंभे सड़क की सफेद पट्टी के अंदर खड़े हैं - विभाग को इनकी जानकारी होने के बावजूद भी इन्हें हटाने की बजाय ऐसे ही छोड़ दिया गया है - इनके कारण कभी भी भयंकर हादसा हो सकता है। 
पेयजल सप्लाई शुरू करने के लिए सड़क के किनारे गहरा गड्ढा बना हुआ है - कभी भी कोई हादसा हो सकता है। लखीहन मौड़ में सड़क को चौड़ा करने का काम अधूरा छोड़ दिया गया है और सड़क पर चलने वालों के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है। सड़क के किनारे पेड़ खड़े हैं। सामने नगदीपुर के पास बिजली का खंभा है और उस पर बिजली सप्लाई के मीटर लगे हुए हैं और वह खंभा किसी वाहन की टक्कर लगने के कारण खस्ता हालत में खड़ा है। जी हां। 
आगे जाकर कंक्रीट वाले हिस्से में लहरें आ गई हैं। इस प्रकार सड़क की सारी सुरक्षा दीवारें गायब हो गई हैं और अधूरी छोड़ दी गई हैं। सड़क किनारों से उखड़ने लगी है। जब ठेकेदार को सड़क का लगातार रखरखाव करना पड़ता है और इसके लिए 5 साल तक कुल 54 लाख 71 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं ताकि सड़क स्वस्थ रह सके। धीमान ने कहा कि सड़क बनने के बाद सड़क सुरक्षा नियमों के अनुसार सड़क तय शर्तों को पूरा करती है या नहीं, इसका ऑडिट किया जाता है और उस पर लगे सड़क सुरक्षा चिन्ह का भी ऑडिट किया जाता है और इन कार्यों के लिए लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। 
उन्होंने कहा कि सरकार की मिलीभगत से सारी कागजी कार्रवाई हो जाती है और जिम्मेदार अधिकारी भी सब कुछ सही रिपोर्ट में पेश कर देते हैं, जिससे सरकार की छवि अच्छी बनती है। लेकिन इन गलतियों की कीमत आम लोगों को मौत के रूप में चुकानी पड़ती है। 
जबकि सरकार का यह कर्तव्य है कि वह लोगों की शिकायतों का इंतजार करने की बजाय अपने अधिकारियों को जिम्मेदार बनाए। इन सड़क सुरक्षा नियमों में भारी भ्रष्टाचार है, जो पैसा सड़क सुरक्षा के लिए खर्च होना चाहिए था, वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। धीमान ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पूछा है कि कितना खर्च हुआ है। ऑडिट टीम से गंभीरता से जांच करवाई जाए और सड़क की खामियों को दूर किया जाए।