
इफ्टू 4 मार्च को श्रम आयुक्त पंजाब के चंडीगढ़ कार्यालय के समक्ष राज्य स्तरीय धरना देगी
नवांशहर, 23 जनवरी- निर्माण मजदूरों की मांगों को लेकर निर्माण राजमिस्त्री मजदूर यूनियन (इफ्टू) पंजाब 4 मार्च को श्रम आयुक्त पंजाब के चंडीगढ़ कार्यालय के समक्ष राज्य स्तरीय धरना देगी। यह फैसला संगठन के कार्यालय में राज्य कमेटी की बैठक में लिया गया।
नवांशहर, 23 जनवरी- निर्माण मजदूरों की मांगों को लेकर निर्माण राजमिस्त्री मजदूर यूनियन (इफ्टू) पंजाब 4 मार्च को श्रम आयुक्त पंजाब के चंडीगढ़ कार्यालय के समक्ष राज्य स्तरीय धरना देगी। यह फैसला संगठन के कार्यालय में राज्य कमेटी की बैठक में लिया गया।
इस संबंध में जानकारी देते हुए इफ्टू पंजाब के अध्यक्ष कुलविंदर सिंह वड़ैच, राज्य सचिव राज सिंह मलोट और राज्य प्रेस सचिव जसबीर दीप ने बताया कि केंद्र की मोदी सरकार ने पहले मजदूर समर्थक श्रम कानूनों को खत्म करके उनकी जगह मजदूर विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक चार श्रम संहिताएं लागू की हैं, जिन्हें मोदी सरकार इसी साल अप्रैल में पूरे देश में लागू करने जा रही है। इन चार श्रम संहिताओं के लागू होने से भवन एवं अन्य निर्माण (बीओसी) से जुड़े मजदूरों की सभी कल्याणकारी योजनाएं बंद हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों का मामला समवर्ती सूची का मामला है, इसलिए पंजाब सरकार को इन चारों श्रम संहिताओं के खिलाफ पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव लाकर इन्हें निरस्त करना चाहिए। ये श्रम संहिताएं मजदूरों के मौलिक अधिकारों पर घातक हमला हैं। उन्होंने श्रम विभाग व बीओसी में जरूरी कर्मचारियों की भर्ती की मांग करते हुए कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण मजदूरों के कई मामले लंबित हैं।
उन्होंने मांग की कि बीओसी बोर्ड में यूनियन के दो प्रतिनिधि शामिल किए जाएं, श्रम विभाग ऑनलाइन काम के साथ-साथ ऑफलाइन काम भी शुरू करे, पंजाब में न्यूनतम वेतन लागू किया जाए और महंगाई के हिसाब से बढ़ाया जाए, यूनियन को 30 दिनों के अंदर रजिस्टर्ड किया जाए, प्रवासी मजदूरों के लिए शेल्टर होम बनाए जाएं और निर्माण मजदूर की मौत पर मुआवजा बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जाए।
उन्होंने कहा कि इस समय पंजाब में श्रम विभाग के कई दफ्तर भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके हैं, जहां मजदूरों का काम सही तरीके से और नियमों के मुताबिक नहीं हो रहा। मजदूरों को अपना काम करवाने के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं। मजदूरों के पंजीकरण में बाधाएं आ रही हैं, उनके कल्याणकारी योजनाओं का पैसा उनके खातों में जमा नहीं हो रहा है, जबकि श्रम विभाग के बीओसी बोर्ड में मजदूरों के कल्याण के लिए करीब 1400 करोड़ रुपए जमा हैं, जो कानून के मुताबिक मजदूरों के कल्याण के अलावा कहीं और इस्तेमाल नहीं किए जा सकते।
मजदूरों के इस कल्याण कोष पर श्रम विभाग बैठा हुआ है। इस बैठक में 4 मार्च के विरोध प्रदर्शन की तैयारी के लिए बैठकें, रैलियां, झंडा मार्च और पर्चे छपवाने का भी निर्णय लिया गया।
