पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग में मकर संक्रांति पर्व का आयोजन किया गया

चंडीगढ़, 14 जनवरी, 2025- आज पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग में मकर संक्रांति पर्व का आयोजन किया गया| इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत विभाग पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से डॉ पुष्पेंद्र जोशी जी उपस्थित रहे| मकर संक्रांति पर्व की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस दिन सूर्य की मकर रेखा की ओर प्रवृत्ति होती है , पंचांग के पांच अंगों तिथि , वार , नक्षत्र , योग, करण पर चर्चा करते हुए उन्होंने आचार्य भास्कर द्वारा रचित पुस्तक लीलावती के विषय में भी विस्तृत चर्चा की|

चंडीगढ़, 14 जनवरी, 2025- आज पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग में मकर संक्रांति पर्व का आयोजन किया गया| इस अवसर पर मुख्य वक्ता के  रूप में संस्कृत विभाग पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से डॉ पुष्पेंद्र जोशी जी उपस्थित रहे|  मकर संक्रांति पर्व की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस दिन सूर्य की मकर  रेखा की ओर प्रवृत्ति होती है , पंचांग के पांच अंगों तिथि , वार , नक्षत्र , योग,  करण पर चर्चा करते हुए उन्होंने आचार्य भास्कर द्वारा रचित पुस्तक लीलावती के विषय में भी विस्तृत चर्चा की| 
इसके साथ ही उपस्थित शोध छात्रों हेतु शोध प्रविधि पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वस्तुत: सबसे पहले शोध कार्य करते समय हमें यह देखना चाहिए कि क्या उस विषय में हमारी रुचि है ?  क्या हम उसको पढ़ने के अधिकारी हैं ?अगर आप तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो आपको उन दोनों विषयों जिसमें आप तुलना कर रहे हैं का ज्ञान होना आवश्यक है |
 इस अवसर पर अर्थशास्त्र में चाणक्य द्वारा लिखित कर विधि पर भी उन्होंने अपने विचार अभिव्यक्त किये | काव्यशास्त्र में अलंकारों पर चर्चा करते हुए उन्होंने अप्यदीक्षित के कुवलयानन्द एवं  रूय्यक के अलंकारसर्वस्व ग्रंथ पर अपने विचार अभिव्यक्त किये |  इस अवसर पर उन्होंने पांडुलिपि विज्ञान पर शोध कार्य करने की अपार संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी |  इसी के साथ उन्होंने गुरुमुखी लिपि , देवनागरी लिपि तथा शारदा लिपि के विषय में छात्रों के साथ विचार विमर्श किया |
विभागाध्यक्ष प्रो. वी. के अलंकार जी ने कहा कि मकर संक्रांति का यह पर्व देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है तथा संपूर्ण देश में यह भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है |  उन्होंने भर्तृहरि   के मत को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि  काल ( समय )  नित्य है | इसी के साथ उन्होंने आगंतुक मुख्य अतिथि तथा अन्य शिक्षकों , छात्रों तथा दयानंद वैदिक  अध्ययन पीठ से उपस्थित शोध छात्रों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया | इस अवसर पर डी ए वी कॉलेज 10 से प्रो. सुष्मा अलंकार जी भी  उपस्थित रहे | संस्कृत विभाग के शिक्षक डॉ विक्रम एवं डॉ विजय भारद्वाज जी भी उपस्थित रहे |  सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन डॉ विजय भारद्वाज जी ने किया |