
सुर-संगीत संस्था दोआबा बंगा ने छोटे साहिबजादों और मां गुजरी जी की शहादत को याद करते हुए दूध का लंगर लगाया
बंगा- सिख इतिहास में पोह महीने के ये दिन बहुत दर्दनाक हैं। इन दिनों में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादे, माता गुजरी जी और कई सिंह शहीद हुए थे। श्री आनंदपुर साहिब के किले से निकलने से लेकर छोटे साहिबजादों और माता गुजरी की शहादत तक की दुखद कहानी करोड़ों श्रद्धांजलि के लायक है।
बंगा- सिख इतिहास में पोह महीने के ये दिन बहुत दर्दनाक हैं। इन दिनों में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादे, माता गुजरी जी और कई सिंह शहीद हुए थे। श्री आनंदपुर साहिब के किले से निकलने से लेकर छोटे साहिबजादों और माता गुजरी की शहादत तक की दुखद कहानी करोड़ों श्रद्धांजलि के लायक है।
इन महान शहादतों को ध्यान में रखते हुए सुर संस्था दोआबा बंगा के कलाकारों, संगीतकारों और गीतकारों ने गढ़शंकर चौक बंगा में सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक दूध और बिस्किट का लंगर लगाया। संस्था के सभी सदस्यों ने हाथ सेवा की और शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष राज ददराल, महासचिव मास्टर मक्खन बखलौर, कोषाध्यक्ष जगदीश जाडला, उपाध्यक्ष विजय गुनाचौर, सचिव हरदीप दीपा, वित्त सचिव दविंदर रूही, मुख्य सलाहकार गीतकार दीप अलाचौरिया, निर्मल निम्मा, लक्की हियाला, राज मनराज, राम मौजी, परषोत्तम बांगर, विशेष रूप से बसपा नेता परवीन बांगा, जय पाल सुंडा, हरमेस विरदी, रविंदर मेहमी बांगा, लाखा भरोमजारा, दविंदर बिसला, मिशनरी गायक एस.एस. आजाद, हरदेव चहल, सुरिंदर थड़ी कनाडा, अमनप्रीत सिंह झिक्का, जगदीश कौर, कमलजीत कौर, रीटा सिद्धू, हरदीप बल, महेश साजन, पत्रकार सुरिंदर करम, नरिंदर माही, जस्सी निगाह, कृष्णा हीओ, सोनी सरोया, दलजीत बाली, पवनदीप बिशला, सतनाम सूरमा और भाव-मनराज की विशेष उपस्थिति रही।
