
सुखी बाठ के संरक्षण में बाल साहित्यकारों का कवि दरबार यादगार बन गया
गुरदासपुर- साहित्य सृजन से पहले हमें स्वस्थ व रोचक साहित्य का पाठक बनना बहुत जरूरी है। ये विचार निक्कियां करुम्बलन के संपादक बलजिंदर मान ने बच्चों के लेखकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने श्री सुखी बाठ पंजाब भवन सरे के संस्थापक द्वारा चलाए जा रहे "नईयां कलमां नई उड़ान" प्रोजेक्ट के कार्यों की सराहना की और आगे कहा कि इन प्रयासों से मातृभाषा पंजाबी का प्रचार व प्रसार हो रहा है।
गुरदासपुर- साहित्य सृजन से पहले हमें स्वस्थ व रोचक साहित्य का पाठक बनना बहुत जरूरी है। ये विचार निक्कियां करुम्बलन के संपादक बलजिंदर मान ने बच्चों के लेखकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने श्री सुखी बाठ पंजाब भवन सरे के संस्थापक द्वारा चलाए जा रहे "नईयां कलमां नई उड़ान" प्रोजेक्ट के कार्यों की सराहना की और आगे कहा कि इन प्रयासों से मातृभाषा पंजाबी का प्रचार व प्रसार हो रहा है।
जिला अध्यक्ष डॉ. सतिंदर कौर काहलों ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि पंजाब भवन सरे कनाडा के संस्थापक श्री सुखी बाठ जी के मार्गदर्शन में पिछले वर्ष से "नईयां कलमां नई उड़ान" परियोजना सफलतापूर्वक चल रही है। इसके तहत अब तक विभिन्न जिलों के बच्चों द्वारा लिखी गई 40 पुस्तकें जनता को समर्पित की जा चुकी हैं तथा और पुस्तकें तैयार की जा रही हैं।
सतिंदर कौर काहलों के नेतृत्व में गुरदासपुर जिले के बच्चों द्वारा साहिबजादों को समर्पित एक ऑनलाइन कवि दरबार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि बाल साहित्य के प्रसिद्ध रचनाकार, संपादक, प्रकाशक एवं शिरोमणि बाल साहित्य लेखक बलजिंदर मान थे। जिसमें विभिन्न स्कूलों के 24 बच्चों ने भाग लिया और अपनी कविताएं सुनाईं। इसके अलावा बड़ी संख्या में बच्चे और गाइड शिक्षक भी पूरे समय मौजूद रहे।
बच्चों को संबोधित करते हुए बलजिंदर मान ने कहा कि साहित्य सृजन से पहले हमें स्वस्थ और रोचक साहित्य का पाठक बनना चाहिए। जब हम विभिन्न प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन करेंगे तो हमारे भीतर नये विचार उत्पन्न होंगे। ये विचार हमारी नई और अनूठी रचना का विषय बनेंगे। किताबें पढ़ने से हम कम उम्र में ही समझदार हो जाते हैं क्योंकि उनसे मिलने वाले अनुभव हमारे जीवन का हिस्सा बन जाते हैं।
"नईयां कलमां नई उड़ान" प्रशासकों और शिक्षकों से अनुरोध है कि वे बच्चों को उनकी रुचि के अनुरूप अधिक से अधिक पुस्तकें उपलब्ध कराएं। आप सभी द्वारा किए जा रहे ये प्रयास मातृभाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। पंजाबी प्रेमियों को इस परियोजना से काफी उम्मीदें हैं।
परियोजना प्रभारी ओंकार सिंह तेजे ने मुख्य अतिथि, शिक्षकों और प्रतिभागी बच्चों का धन्यवाद किया। श्री सुखी बाठ जी ने बड़े उत्साह से समारोह में भाग लिया और पूरे कवि दरबार ने इसे सुना। उन्होंने अपने बहुमूल्य विचार साझा करके बच्चों को प्रोत्साहित किया। कवि दरबार ने टीम के सदस्यों रंजीत कौर बाजवा, नवजोत कौर बाजवा, कमलजीत कौर, गगनदीप सिंह और सुखविंदर कौर के सहयोग से एक अमिट छाप छोड़ी।
