
प्रो. पन्नू ने छोटे साहिबजादे और माता गुजरी की शहादत पर विशेष भाषण दिया
पटियाला, 24 दिसंबर- पंजाबी विश्वविद्यालय के पंजाबी भाषा विकास विभाग ने 'छोटे साहिबजादे और माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित विशेष व्याख्यान श्रृंखला' के अंतर्गत प्रसिद्ध सिख विचारक प्रोफेसर हरपाल सिंह पन्नू का विशेष व्याख्यान आयोजित किया।
पटियाला, 24 दिसंबर- पंजाबी विश्वविद्यालय के पंजाबी भाषा विकास विभाग ने 'छोटे साहिबजादे और माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित विशेष व्याख्यान श्रृंखला' के अंतर्गत प्रसिद्ध सिख विचारक प्रोफेसर हरपाल सिंह पन्नू का विशेष व्याख्यान आयोजित किया।
विभाग प्रमुख डॉ. परमिंदरजीत कौर ने बताया कि इतिहास एवं पंजाब इतिहास अध्ययन विभाग, श्री गुरु ग्रंथ साहिब अध्ययन विभाग और श्री गुरु गोबिंद सिंह धर्म अध्ययन विभाग के सहयोग से पिछले वर्ष शुरू की गई इस श्रृंखला के तहत यह दूसरा व्याख्यान था।
प्रोफेसर हरपाल सिंह पन्नू ने विभिन्न ऐतिहासिक सन्दर्भों के साथ बातचीत करते हुए विषय से जुड़े तथ्यों को जीवंत ढंग से सामने रखा। उन्होंने कहा कि जिस क्षण कोई विशेष घटना घटती है या इतिहास बनता है, वह क्षण एक युग में बदल जाता है। उन्होंने कहा कि यह शहादत देकर सिख इतिहास में एक क्षण एक युग में बदल गया।
उन्होंने कहा कि छोटे साहिबजादे इस धरती पर आए और फिर अपनी शहादत से हमेशा के लिए यहीं रह गए। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि गुरु साहब ने दूसरे धर्म के लिए शहादत दी. उन्होंने कहा कि वास्तव में गुरु साहिब का कोई दूसरा नहीं था। उनके लिए सब अपने थे. उन्होंने कहा कि हमें अपनी ऐसी समृद्ध विरासत पर गर्व होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. मोहन सिंह ने कहा कि आज के तर्क के युग में हमें ऐसे आध्यात्मिक अनुभव को महसूस करने के लिए अपनी विरासत और आध्यात्मिकता से जुड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम सभी को गुरबाणी से जुड़ना चाहिए और गुरु साहिब के सिद्धांतों को अपनी जीवनशैली में अपनाना चाहिए।
श्री गुरु गोबिंद सिंह धर्म अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर गुरमेल सिंह ने कहा कि सिख धर्म की तीन प्रथाओं लंगर, कीर्तन और शहादत को पूरी दुनिया जानती है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब अध्ययन विभाग की प्रमुख डॉ. गुंजनजोत कौर ने कहा कि यह बहुत बड़ी बात होगी अगर हम इन शहादतों के उद्देश्य को अमल में लाएं और अपनी नई पीढ़ी को अपनी इस महान विरासत के बारे में बताएं। अंत में इतिहास एवं पंजाब इतिहास अध्ययन विभाग की प्रमुख डॉ. संदीप कौर ने सभी का धन्यवाद किया।
