आपकी दान की हुई आंखें किसी के लिए वरदान से कम नहीं हो सकती - भाई मसीति

होशियारपुर- दुनिया में वही लोग महान होते हैं जो मरने के बाद भी मानवता की भलाई करते हैं देहदान, अंगदान सर्वोत्तम दान है आपके द्वारा किया गया नेत्रदान जो बन सकता है वह किसी अंधे व्यक्ति के लिए वरदान है।

होशियारपुर- दुनिया में वही लोग महान होते हैं जो मरने के बाद भी मानवता की भलाई करते हैं देहदान, अंगदान सर्वोत्तम दान है आपके द्वारा किया गया नेत्रदान जो बन सकता है वह किसी अंधे व्यक्ति के लिए वरदान है।
क्योंकि मृत्यु ही जीवन का सत्य है, हम जीने के लिए ही पैदा हुए हैं, और मृत्यु भी सत्य है, जो जीवन हमें मिला है उसे एक न एक दिन ख़त्म होना ही है। यह बात नेत्रदानी प्रभारी टांडा स्टेट अवार्डी भाई विरिंदर सिंह मसीती ने कही उनका कहना है कि इंसान को जिंदा रहते हुए इंसानियत की भलाई के लिए अपनी मर्जी के मुताबिक रकअत दान करना चाहिए। और मृत्यु के बाद देहदान, अंगदान और नेत्रदान करना चाहिए।
मृत्यु के बाद मृत शरीर को चिकित्सा अनुसंधान के लिए दान कर देना चाहिए और शरीर के अन्य अंगों को दाताओं को दान कर देना चाहिए। जिससे जरूरतमंद व्यक्तियों को नया जीवन मिल सके। उन्होंने कहा कि हमारी मृत्यु के बाद हमारी दो आंखें और शरीर के अंग किसी जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाने में मदद कर सकते हैं।
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे आई डोनेशन एसोसिएशन होशियारपुर की इस मुहिम का हिस्सा बनें और लोगों की जान बचाने में योगदान दें।