40 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को वर्ष में एक बार अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए- नेत्र रोग अधिकारी श्री तरसेम

होशियारपुर- ब्लॉक हारटा बडला (सतीश शर्मा) "आइए ग्लूकोमा मुक्त विश्व के लिए एकजुट हों" थीम के तहत तथा सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ. पवन कुमार और सीनियर मेडिकल अधिकारी डॉ. मनप्रीत सिंह बैंस के दिशा-निर्देशों के अनुसार सीएचसी हारटा बडला में 09 मार्च से 15 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा (मोतियाबिंद) सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसके तहत मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों की मुफ्त जांच की जा रही है और आम लोगों को इसके बारे में जागरूक भी किया जा रहा है।

होशियारपुर- ब्लॉक हारटा बडला (सतीश शर्मा) "आइए ग्लूकोमा मुक्त विश्व के लिए एकजुट हों" थीम के तहत तथा सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ. पवन कुमार और सीनियर मेडिकल अधिकारी डॉ. मनप्रीत सिंह बैंस के दिशा-निर्देशों के अनुसार सीएचसी हारटा बडला में 09 मार्च से 15 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा (मोतियाबिंद) सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसके तहत मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों की मुफ्त जांच की जा रही है और आम लोगों को इसके बारे में जागरूक भी किया जा रहा है।
 इस अवसर पर नेत्र रोग अधिकारी श्री तरसेम ने मोतियाबिंद के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि ग्लूकोमा (मोतियाबिंद) भारत में स्थायी अंधेपन के मुख्य कारणों में से एक है। मोतियाबिंद या ग्लूकोमा में आंख के अंदर पाए जाने वाले जलीय द्रव का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे आंख में दबाव बढ़ जाता है। जन्मजात मोतियाबिंद वंशानुगत भी हो सकता है। यह बच्चे के जन्म से पहले से लेकर तीन साल की उम्र तक देखा जाता है। यह ज्यादातर दोनों आंखों में और कभी-कभी एक आंख में होता है। 
अगर किसी के परिजन ग्लूकोमा से पीड़ित हैं, किसी को मधुमेह, उच्च रक्तचाप है या कोई एलर्जी, अस्थमा, त्वचा रोग आदि के लिए स्टेरॉयड का उपयोग करता है, तो वह व्यक्ति ग्लूकोमा से प्रभावित हो सकता है। ग्लूकोमा के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आंखों में असामान्य सिरदर्द या दर्द, पढ़ने के चश्मे को बार-बार बदलना, रोशनी के चारों ओर रंगीन घेरे, आंखों में दर्द और लालिमा के साथ अचानक दृष्टि खोना और दृष्टि का सीमित क्षेत्र आदि ग्लूकोमा के लक्षण हैं। 
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी लक्षण दिखने पर उन्हें अपनी आंखों के दबाव की जांच जरूर करानी चाहिए, क्योंकि अगर समय रहते ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) का पता चल जाए तो इसका इलाज किया जा सकता है और आगे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। इसलिए नजदीकी अस्पताल में नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाएं। 
उन्होंने कहा कि 40 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को साल में एक बार अपनी आंखों की जांच जरूर करानी चाहिए ताकि समय रहते बीमारी की पहचान हो सके और इलाज शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के आंखों में कोई दवा नहीं डालनी चाहिए। ग्लूकोमा के बारे में जागरूकता ही इस बीमारी का एकमात्र समाधान है।