
PGIMER में 2 साल के प्रॉस्पर ने भारत का सबसे युवा अग्नाशयी दाता बनकर ऐतिहासिक पहल की
PGIMER में 2 साल के प्रॉस्पर, जो पहले विदेशी नागरिक हैं, भारत के सबसे युवा अग्नाशयी दाता बन गए हैं। उनके अंगों के दान से दो किडनी फेलियर के मरीज़ों को संयोगवश अग्न्याशय एवं गुर्दे (SPK) प्रत्यारोपण के माध्यम से नया जीवन मिला, जबकि एक अन्य को अलग से गुर्दे का प्रत्यारोपण किया गया। इसके साथ ही, उनके कॉर्नियाओं के दान से दो व्यक्तियों को दृष्टि प्राप्त हुई।
PGIMER में 2 साल के प्रॉस्पर, जो पहले विदेशी नागरिक हैं, भारत के सबसे युवा अग्नाशयी दाता बन गए हैं। उनके अंगों के दान से दो किडनी फेलियर के मरीज़ों को संयोगवश अग्न्याशय एवं गुर्दे (SPK) प्रत्यारोपण के माध्यम से नया जीवन मिला, जबकि एक अन्य को अलग से गुर्दे का प्रत्यारोपण किया गया। इसके साथ ही, उनके कॉर्नियाओं के दान से दो व्यक्तियों को दृष्टि प्राप्त हुई।
प्रॉस्पर के परिवार ने उसके अंगों का दान करने का साहसिक निर्णय लिया, जिससे कुल चार जीवन प्रभावित हुए हैं। PGIMER के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने इस कदम को अंगदान के महत्व के रूप में बताया।
17 अक्टूबर को प्रॉस्पर को घर पर दुर्घटनावश गंभीर चोट लगी और 26 अक्टूबर को उन्हें मस्तिष्क मृत घोषित किया गया। उनके परिवार ने इस दुखद समय में अंगदान करने का निर्णय लिया, जिससे प्रॉस्पर देश का सबसे युवा अग्नाशयी दाता बने।
प्रॉस्पर की माँ, जैकलिन डायरी ने कहा, “यह दया का कार्य हमारे लिए उसके जीवन को जीवित रखने का एक तरीका है।” PGIMER के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि परिवार की सहमति से सफलतापूर्वक अग्नाशय और गुर्दे का प्रत्यारोपण किया गया।
प्रो. आशीष शर्मा ने युवा दाताओं से संबंधित चुनौतियों का उल्लेख किया, जबकि परिवार के पादरी ने इस अनुभव को परिवार की दया का प्रमाण बताया।
